आयुर्वेद के नुस्खे आजमाएं – खांसी दूर भगाएं – पुदीना पत्ती व काला जीरा का दिन में एक बार लें भाप – लौंग पाउडर को मिश्री व शहद के साथ लेना फायदेमंद
आयुर्वेद के नुस्खे आजमाएं – खांसी दूर भगाएं
– पुदीना पत्ती व काला जीरा का दिन में एक बार लें भाप
– लौंग पाउडर को मिश्री व शहद के साथ लेना फायदेमंद
ब्युरोचीफ़ :- प्रमोद पाण्डेय
गोंडा, 23 मई-2020 ।।
कोरोना संकट के इस दौर में हल्की-फुल्की खांसी और गले में खराश को लेकर बहुत घबराने की जरूरत नहीं है । मौसम में बदलाव और ठंडा-गर्म खाने-पीने से भी इस तरह की समस्या हो सकती है । इसके लिए अस्पताल जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसकी दवा तो आपके किचेन में ही मौजूद है, बस जरूरत उसे जानने और दूसरों को समझाने की है । आयुर्वेद के इसी ज्ञान से खुद को सुरक्षित रखने के साथ दूसरों को भी सुरक्षित रखा जा सकता है ।
जनपद के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ अशोक कुमार का कहना है कि सूखी खांसी व गले में खराश को दूर करने में आयुष का घरेलू उपचार बहुत ही कारगर है । उनका कहना है कि ताजे पुदीने के पत्ते और काला जीरा को पानी में उबालकर दिन में एक बार भाप लेने से इस तरह की समस्या से राहत मिल सकती है । इसके अलावा लौंग के पाउडर को मिश्री/शहद के साथ मिलाकर दिन में दो से तीन बार सेवन करने से इस तरह की समस्या दूर हो सकती है ।
डॉ. अशोक का कहना है कि यदि इसके बाद भी दिक्कत ठीक नहीं होती है तभी चिकित्सक की सलाह लें । जानकारी के अभाव में लोग इसके लिए चिकित्सक की सलाह लिए बगैर भी मेडिकल स्टोर से कुछ दवाएं खरीदकर आजमाने लगते हैं, जो कि बहुत ही नुकसानदेह साबित हो सकती हैं ।
डॉ. अशोक का कहना है इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के एक से एक नुस्खे आयुर्वेद में मौजूद हैं, जिसको आजमाकर हम कोरोना ही नहीं अन्य संक्रामक बीमारियों को भी अपने से दूर कर सकते हैं । इसके अलावा इन नुस्खों के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं । भोजन में हल्दी, धनिया, जीरा और लहसुन का इस्तेमाल भी इसमें बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है । इसके अलावा दूध में हल्दी मिलाकर पीकर, गुनगुना पानी और हर्बल चाय/काढ़ा पीकर भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं । इसके साथ ही योगा, ध्यान और प्राणायाम का भी सहारा लिया जा सकता है । बदली परिस्थितियों में आप यही छोटे-छोटे नुस्खे आजमाकर स्वस्थ रह सकते हैं क्योंकि अभी अस्पताल और चिकित्सक कोविड-19 या कोरोना मरीजों की जाँच और देखरेख में व्यस्त हैं । इसलिए अस्पतालों में अनावश्यक दबाव बढ़ाने से बचें और सुरक्षित रहें ।