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जैन तीर्थ सम्मेद शिखरजी पर्यटन स्थल घोषित करने पर जैन समाज आंदोलित

पर्यटन स्थल के बजाए तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग

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बांदा। झारखंड सरकार द्वारा सम्मेद शिखरजी तीर्थ क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित करने पर जैन समाज आंदोलित हो गया है। जैन समाज की महिला और पुरुषों ने कलक्ट्रेट में धरना-प्रदर्शन करते हुए तीर्थ क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित करने पर विरोध जताया। प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपते हुए नोटिफिकेशन को निरस्त करने की मांग की।
झारखंड सरकार ने जैन तीर्थ सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किया है। पर्यटन स्थल घोषणा के बाद जैन समाज लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को जैन समाज की महिला और पुरुषों ने कलक्ट्रेट में धरना प्रदर्शन करते हुए तीर्थ क्षेत्र के पर्यटन स्थल घोषित करने पर कड़ा विरोध जताया। बाद में प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। इसमें कहा है कि झारखंड सरकार की ओर से गिरिडीह जिले के मधुवन की पहाड़ी स्थित सम्मेद शिखर जैन तीर्थ है। यहां जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकर मोक्ष गए हैं। यह स्थल जैन धर्म की आत्मा है। सम्मेद शिखर से 23वें तीर्थंकर पारसनाथ भगवान ने निर्वान प्राप्त किया। इसलिए इसे श्री पारसनाथ के नाम से भी जाना जाता है। सृष्टि की रचना के समय से ही सम्मेद शिखर और अयोध्या इन दो प्रमुख तीर्थों का अस्तित्व रहा है। दोनों सृष्टि के समांतर हैं और इनको अमर तीर्थ माना जाता है। तीर्थों के राजा सिद्ध क्षेत्र सम्मेद शिखर को पर्यटन घोषित करना जैन समाज पर बड़ा कुठाराघात है और समाज को अहिंसात्मक तरीके से आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ेगा। पर्यटन क्षेत्र घोषित करने वाला आदेश वापस लेकर पवित्र तीर्थ घोषित करने की मांग की। इस मौके पर योगेश जैन, सुरेंद्र जैन, अमित जैन, शैलेंद्र जैन, संजू जैन, प्रदीप जैन, राहुल जैन, प्रकाश जैन, विपिन जैन, अवंतिका जैन, मीनू जैन, अंजू जैन, मंजरी जैन, समीक्षा जैन, किरण जैन, शालिनी जैन आदि उपस्थित रहे।

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