150 साल के इतिहास मे पहली बार आज 19 रमज़ान का जुलूस नही निकाला गया
लखनऊ :19वीं रमज़ान की सुबह शिया समुदाय द्वारा निकाला जाने वाले ग्लीम के ताबूत का जुलूस नही निकाला गया । पूरे देश मे कोरोना वायरस की रोकथम के लिए लाक डाउन लागू है और सभी धर्मो के ऐसे कार्यक्रमो पर रोक है जिसमे भीड़ होती हो इस लिए आज ग्लीम के ताबूत के जुलूस को स्थगित कर दिया गया। ग्लीम के ताबूत का जुलूस हर वर्ष 19वीं रमज़ान की सुबह रौज़ा-ए- काज़मैन से निकाला जाता था जो पाटा नाला स्थित मौलाना मीसम जैदी के घर पर सम्पन्न होता था लेकिन इस बार इस मात्वपूर्ण जुलूस को नही निकाला गया । आपको बता दे कि 19 वीं रमज़ान की सुबह हज़रत अली अ0स0 को मस्जिदे कूफा मे उस समय इब्ने मुल्ज़िम द्वारा ज़हरीली तलवार से वार कर घायल कर दिया गया था जब वो मस्जिद मे नमाज़ अदा करने के लिए पहुॅचे थे ।
इब्ने मुल्ज़िम के हमले मे घायल हुए हज़रत अली अ0स0 की दो दिन के बाद 21वीं रमज़ान की सुबह मृत्यु हो गई थी । शिया समुदाय के लोग 19 रमज़ान को हज़रत अली की याद मे ही ग्लीम के ताबूत का जुलूस निकालते है । कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू किए गए लाक डान के बाद प्रशासन ने इस बार 19 और 21 रमज़ान के जुलूसो को न निकालने के लिए शिया समुदायय को नोटिस दिया था शिया समुदाय ने भी देश और समाज हित मे बड़ा निर्णय लेते हुए इस बार कोरोना संकट को देखते हुए दोनो जुलूसो को स्थगित करने का एलान कर दिया। आज 19वी रमज़ान की सुबह ग्लीम का ताबूत नही उठाया गया लेकिन हज़रत अली अ0स0 के अकीदतमंद अज़ादारो ने अपने अपने घरो मे उनकी याद मे मातम कर अपने ग़म का इज़हार किया।
शिया समुदाय द्वारा 19वी रमज़ान और 21वीं रमज़ान के जुलूसो को शान्तीपूर्ण माहौल मे सम्पन्न कराने के लिए प्रशासन को हर साल कड़ी मशक्कते करनी पड़ती थी पुराने लखनऊ मे भारी पुलिस बल को तैनात किया जाता था लेकिन इस बार बिना किसी टकराव के ही ये दोनो जुलूस स्थगित कर दिए गए अब 21वीं रमज़ान की सुबह नजफ से कर्बला तालकटोरा तक निकाला जाने वाला ताबूत का जुलूस भी नही निकाला जाएगा। जुलूसो के इतिहास मे ऐसा पहली बार हुआ है जब ये दोनो जुलूस बिना किसी तनाव या टकराव के स्थगित किए गए हो जबकि शिया समुदाय के लोग कोई भी मौसम हो कैसे भी हालात हो जुलूसो को पूरी शिददत और अकीदत के साथ निकालते थे । कोरोना वायरस के संकट के कारण दोनो जुलूस स्थगित होने की वजह से शिया समुदाय मे गहरा अफसोस देखने को मिला है। शिया समुदाय के लोग अपने अपने घरो मे हज़रत अली की याद मे मातम कर रहे है इस बार उनकी याद मे न ही जुलूस निकाले गए और न ही सार्वजनिक स्थल पर कोई मजलिस ही आयोजित की गई। हालाकि एहतियात के तौर पर पुराने लखनऊ मे पुलिस फोर्स को तैनात किया गया था।