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पासवान का निधन समाजवादी आंदोलन की अपूर्णनीय क्षति: राजनाथ

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बाराबंकी : डॉ अम्बेडकर को भारत रत्न दिलाने और सेंट्रल हाल में अम्बेडकर की प्रतिमा लगवाने में रामविलास पासवान की अहम भूमिका रही। रामविलास पासवान जैसा दिग्गज दलित नेता आज हमारे बीच नही है। गाँधी जयंती समारोह ट्रस्ट परिवार शोकाकुल है। उनके निधन पर गाँधी भवन में दो मिनट का मौन रखकर आत्म शांति की प्रार्थना की गई। शुक्रवार को गाँधी भवन में दिग्गज समाजवादी नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के असमायिक निधन पर शोकसभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता कर रहे समाजवादी चिंतक ने कहा कि रामविलास पासवान समाजवादी आंदोलन में होने के कारण मेरे परिचित थे। वह डॉ लोहिया की विचारधारा से प्रभावित थे। 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में रिकार्ड मतों से जीतने वाले पहले राजनेता थे। जनता पार्टी जब टूटी तो एक धड़ा लोकदल और दूसरा जनता दल के रूप में खड़ा हुआ। श्री शर्मा ने बताया कि रामविलास पासवान आपातकाल के बाद बिहार के लोकप्रिय नेता के रूप में उभर कर आए। बिहार के तत्कालीन लोकप्रिय जननेता कर्पूरी ठाकुर से उनका मतभेद हो गया। जिस कारण वह चंद्रशेखर जी के साथ चले गए और उन्होंने रामविलास को बाराबंकी सुरक्षित सीट से लोकसभा लड़ाने की योजना बनाई। जिसके बाद उन्होंने कई सभाएं बाराबंकी में की। इसी बीच कर्पूरी ठाकुर का देहांत हो गया और पासवान जी बिहार से पुनः सांसद चुने गए

शर्मा ने कहा कि रामविलास पासवान गरीबों तथा पिछड़ों के अधिकारों के लिए संघर्षरत एक जुझारु नेता थे। पासवान जी के निधन से समाजवादी विचारधारा का एक अध्याय समाप्त हो गया है। आज समाजवादी आंदोलन की वह कड़ी टूट गई जिसे वे आजीवन मजबूत करने के लिए प्रयासरत रहे। संसद में गरीबों, दलितों तथा पिछड़े वर्गों की आवाज उठाने वाले प्रखर नेता थे। पासवान जी का निधन समाजवादी आंदोलन के लिए अपूर्णनीय क्षति है। इस मौके पर अशोक शुक्ला, सरदार राजा सिंह, विनय कुमार सिंह, मृत्युंजय शर्मा, पाटेश्वरी प्रसाद, सत्यवान वर्मा, रवि सिंह, सलाउद्दीन किदवई, पी के सिंह सहित कई लोग मौजूद रहे।

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