पैसे खत्म होने के बाद सरकार अस्पताल रेफर करने के लिए कह रहे परिजन
लखनऊ : कोरोना की मार से कराह रही मानवता का दर्द निजी अस्पताल और भी ज्यादा बढ़ा रहे हैं। मजबूरी में लोग अपने मरीजों को लेकर इस उम्मीद के साथ इन अस्पतालों की चौखट पर पहुंचते हैं कि शायद उनके प्रियजन की जान बच जाए। लेकिन लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर यह निजी अस्पताल मरीजों के परिवार का आर्थिक शोषण करने से बाज नहीं आते। पिछले कुछ दिनों में देश भर के कई हिस्सों से ऐसी तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। ऐसा ही एक मामला राजधानी लखनऊ में सामने आया है।
मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले एक परिवार ने लखनऊ के गोमतीनगर स्थित मेओ अस्पताल प्रशासन पर मरीज को बंधक बनाकर पैसे वसूलने का आरोप लगाया है। पीड़ित परिवार ने जिलाधिकारी, डीजीपी और पुलिस से भी सहायता मांगी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर मदद की गुहार लगायी है।
जानकारी के मुताबिक गोरखपुर के गीडा थाना क्षेत्र में रहने वाले इनाम 10 जून को अचानक तबीयत बिगड़ने पर अपनी बहू रेनू देवी को लेकर लखनऊ आए। यहां उन्होंने मेओ अस्पताल में बहू को भर्ती कराया। इनाम के मुताबिक अस्पताल प्रशासन ने कहा था कि 40-50 हजार रुपए में मरीज ठीक हो जाएगा।
10 हजार अभी जमा कर दो तो इलाज शुरू हो जाए। पीड़ित परिवार का कहना है कि हमने पैसे देकर इलाज शुरू कराया। इसके बाद 11 जून को डेढ़ लाख रुपए मांगे गए।
असमर्थता जताने पर डाक्टरों ने कहा कि पैसे नहीं जमा करोगे तो मरीज की कोई गारंटी नहीं है। मरीज को बचाने के लिए किसी तरह हम लोगों ने पैसों की व्यवस्था की। परिजनों के अनुसार इसी तरह अस्पताल प्रशासन ने 2 लाख 25 हजार रुपए जमा जमा करा लिए। जबकि मरीज की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
रेफर करने को कहा तो थमाया एक लाख का बिल
आरोप है कि शनिवार को अस्पताल प्रशासन ने 1 लाख 5 हजार रुपए जमा करने को कहा। इस पर परिजनों ने मरीज को सरकारी अस्पताल रेफर करने को कहा। इनाम का आरोप है कि अब अस्पताल के डाक्टर मरीज को पैसा जमा किए बिना रेफर नहीं कर रहे हैं। जबकि मेरे पास एक भी पैसा नहीं बचा है। आरोप है कि पीड़ित परिवार ने पुलिस के इमरजेंसी नंबर 112, जिलािधकारी अभिषेक प्रकाश व डीजीपी से भी मदद मांगी, लेकिन अस्पताल प्रशासन मरीज को बंधक बनाकर पैसे जमा करने का दबाव बना रहा है