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वकार रिज़वी की दसवें की मजलिस संपन्न।

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उर्दू और हिंदी सहाफत को एक प्लेटफार्म पर लाने का कारनामा करने वाले इन्सान थे वक़ार रिज़वी : मौलाना हैदर अब्बास रिज़वी 

लखनऊ : उर्दू सहाफत के बेहतरीन इंसान उर्दू और हिंदी सहाफत को एक प्लेटफार्म पर लाने का कारनामा करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता इंसानियत के मददगार सैयद वकार मेहंदी रिजवी के दसवें की मजलिस आज संपन्न हुई है दसवें की मजलिस इमामबाड़ा बारगाहे मेहंदी कच्चा हाता सम्पन्न अमीनाबाद में सम्पन्न हुई जिसको मौलाना हैदर अब्बास रिजवी ने खिताब किया सबसे पहले नमाज़ बाजमाअत हुई फिर कुरान खूवानी सिलसिला शुरू हुआ मजलिस से पहले शायरों ने बारगाहे इमाम में अपने अशर पढ़े

तिलावत जनाब आरिफ साहब ने की उसके बाद जनाब शमीम हैदर, मौलाना ज़ेदुल हसन और आलम रिज़वी ने बारगाहे इमाम में मंज़ूम नज़राने अकीदत पेश किया

उसके बाद मौलाना ने मजलिस को खिताब किया अपने बयान में मौलाना ने कहा कि इन्सान चला जाता है लेकिन उसकी यादें बाकी रह जाती हैं और इंसान ख़िदमतगुज़ार हो तो लोग उसको याद करते हैं मौलाना ने कहा वक़ार रिज़वी हमेशा इत्तेहाद पर काम करते थे किसी भी बात के लिए वो ओल्मोओ से मशविरा करते थे कौम के लोगों में इल्म और इत्तेहाद जाते थे । मौलाना ने कहा कि अच्छे इंसान के जाने से लोगों को दर्द बेचैनी का एहसास होता है उसे बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल होता है

अगर कर्बला हमारे सामने ना होती तो सब्र करना बहुत मुश्किल होता क्योंकि कर्बला ने ही हमको सब्र करना सिखाया है आखिर में मौलाना ने हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और जनाबे सकीना के मसायब बयान किए मसायब सुनकर लोगों ने खूब गिरिया किया।

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