
दिल्ली : उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को यह बताने के लिए कहा है कि आक्सीजन वितरण को लेकर आईआईटी दिल्ली द्वारा तैयार ब्लू प्रिंट को लागू करने के लिए सुझाए गए उपायों को कब तक लागू किया जाएगा। न्यायालय ने इसके लिए सरकार को 4 सप्ताह का वक्त दिया है। जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि चूंकि संक्रमण की दर कम हो रही है इसलिए हमें अभी आराम करने के मोड में नहीं आना चाहिए। पीठ ने कहा कि हमें अभी भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए समुचित व त्वरित कदम उठाते रहने चाहिए। इस पर दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि हमारे में अधिकारी युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं और हम आराम के मोड में नहीं हैं। पीठ के आदेश पर कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में आक्सीजन की कमी से राजधानी में किसी मरीज की मौत नहीं हो, इसके लिए आईआईटी दिल्ली ने सरकार के आग्रह पर ब्लू प्रिंट तैयार किया है। ब्लू प्रिंट उच्च न्यायालय में भी सरकार ने पेश किया।
इसमें कहा गया है
51 सरकारी व निजी अस्पतालों में 80 फीसदी बेड मौजूद
250 से 500 मीट्रिक टन तक आक्सीजन का हो संरक्षित भंडारण, सभी अस्पतालों में हो आक्सीजन उत्पादन का प्लांट
सभी अस्पतालों को अपनी जरूरतों के अनुसार अपने परिसर में छोटे-छोटे आक्सीजन प्लांट लगाने चाहिए। उतनी ही क्षमता का भंडारण भी होना चाहिए।
यदि किसी अस्पताल की प्रतिदिन की खपत यदि 5 मीट्रिक टन की है तो उतने ही क्षमता का संयंत्र होने चाहिए।
20 से 25 आक्सीजन टैंकर की जरूरत, सरकार को विभिन्न साइजों के 20 से 25 क्रायोजेनिक आक्सीजन टैंकर होने चाहिए।
26 अस्पतालों में 500 मीट्रिक टन आक्सीजन की भंडारण क्षमता, लेकिन नहीं हुआ इस्तेमाल