
लखनऊ : अल इमाम वेलफेयर एसोसिएशन (आल इंडिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान हसन सिद्दीक़ी ने दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज़ में फंसे हुए विदेशी लोगों पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के FIR वाले बयान पर अपनी प्रकिर्या ज़ाहिर करते हुए कहा कि आज कल दिल्ली में जमात के प्रधान कार्यालय पर रुके हुए लोगो पर कोरोना वायरस जैसी भयानक महामारी पर लापरवाही बरतने की और उसे फ़ैलाने की बातें की जा रही हैं, वह निन्दनीय है। जबकि सब को पता है कि निज़ामुद्दीन जमात का प्रधान कार्यालय है जहाँ पर हर समय 1000 से 1500 लोगो का होना निश्चित है। एसे ही कुछ पिछले दिनों हुआ जब देश भर से लोग तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। यह बात मार्च महीने के मद्ध की है और कार्यक्रम के बाद बड़ी संख्यां में लोग वापस हो रहे थे इसी बीच हमारे प्रधान मंत्री की तरफ से एक दिन की जनता कर्फ्यू का आवाहान हुआ। इसी के तुरन्त बाद 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा हो गई। जो लोग निज़ामुद्दीन में थे वो सब वहीं रहे और क़ानून का पालन करते रहे। लॉकडाउन का उल्लँघन कर अपने घरों को वापस नहीं गए जिसकी सूचना दिल्ली सरकार को पहले ही दे दी गई थी। सरकार से कुछ पास भी मांगे गए थे परन्तु सरकार ने इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया। आज दिल्ली के मुख्यमंत्री उन लोगो पर FIR करने की बात करते हैं। जब दिल्ली सरकार इस लॉक डाउन में पूरी तरह विफल रही। अपने प्रांत में बसे गरीब मज़दूरों को पलायन करने पर मजबूर किया। अब बात करते हैं उन लोगो पर FIR की। जिस समय दिल्ली सांप्रदायिक दंगों की आग में जल रही थी तो उस वक़्त यही मुख्यमंत्री केंद्र सरकार गृहमंत्री की दुहाई देते फिर रहे थे और आज स्वंय इन लोगों पर FIR करवाने की बात कर रहे है। जबकि उनकी सरकार स्वंय इस लॉकडाउन में पूरी तरह विफल दिख रही है। प्रधानमंत्री जी ने ये लॉकडाउन इसी लिए किया है, ताकि जनता को इस महामारी से सुरक्षित रखा जा सके। जिस तरह दिल्ली से मज़दूरों ने पलायन किया अगर इस कारण देश में यह महामारी फैलती है तो उसका ज़िम्मेदार कौन होगा।
मुख्यमंत्री अपनी विफलताओं को स्वीकार करें और निज़ामुद्दीन में फंसे लोगों पर राजनीति न करें। क्योंकि देश अभी भी बहुत ही कठिन समय से गुज़र रहा है।