असोहा-उन्नाव : जनपद के आला अधिकारियों द्वारा लगातार आवारा पशुओं को लेकर मिल रही शिकायतों के मद्देनजर भले ही आवारा पशुओं को गौशालाओं तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकारी कर्मचारियों को दी गई हो परंतु अभी तक अधिकारियों द्वारा दिए गए आदेश हवा में उड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। जिसके कारण जिन आवारा पशुओं को गौशालाओं में होना चाहिए वह सड़क व खेतों की शोभा बढ़ा रहे हैं।
सनद रहे कि सूबे में बीजेपी की सरकार बनने के कुछ ही दिनों बाद आवारा पशुओं के तांडव के चलते क्षेत्र से लेकर विधानसभा तक भारी हंगामा होता रहा, जिससे सरकार की बड़ी किरकिरी हुई। सरकार का बचाव करते हुए सरकारी नुमाइंदों ने अधिकारियों को गौशालाएं बनाकर आवारा पशुओं को उसमें पहुंचाने के फरमान जारी किए, इतना ही नहीं गौशालाओं में बंद मवेशियों के चारा पानी, देख-रेख व खाने-पीने के लिए सरकार ने बजट का भी प्रावधान रखा और आवंटित भी है परंतु लचर कार्यप्रणाली के चलते गौशालाओं के लिए आने वाला पैसा प्रधान से कर्मचारियों तक खाऊ कमाऊ नीति का साधन बन कर रह गया। अब जब सर पर चुनाव है तो एक बार फिर सरकार ने फरमान जारी किया कि हर हाल में सड़कों पर घूम रहे व खेतों में विचरण कर रहे मवेशियों को गौशालाओं में पहुंचाने के लिए अधिकारियों को हिदायत दी है। जिसके चलते गत दिनों उपजिलाधिकारी से लेकर जिलाधिकारी ने बैठकों का दौर करने के बाद स्पष्ट रूप से आवारा पशुओं के मिलने पर ग्राम पंचायत अधिकारी, लेखपाल व ग्राम प्रधानों को जिम्मेदार मानते हुए कार्यवाही तक किए जाने की बात कही थी परंतु अभी तक धरातल पर कहीं आदेश का पालन होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।
जानकारों की माने तो असोहा ब्लाक क्षेत्र में आधा दर्जन के करीब अस्थाई गौशाला निर्मित हैं। वहीं कई गौशालाओं को बनाने की घोषणा भी समाचार पत्रों में की गई किन्तु उस पर अमल अभी तक जमीनी हकीकत से परे हैं। क्षेत्रीय किसानों ने उप जिलाधिकारी पुरवा से भी आवारा पशुओं को लेकर शिकायत की परंतु अभी तक ढाक के तीन पात की कहावत चरितार्थ हो रही है।ग्रामीणों का कहना है कि सैकड़ों बीघा जमीन फसल बोने से वंचित रह गई, जानवरों के डर की वजह से अभी तक बुवाई प्रारंभ नहीं की जा सकी है। यदि यही हाल आवारा पशुओं का रहा तो गेहूं की बुवाई भी प्रभावित होगी।आवारा पशुओं को लेकर सबसे अधिक किसानों के साथ-साथ आने-जाने वाले वाहनों को दिक्कतें होती हैं। जहां शाम होते ही मार्गो पर आवारा पशु घेर कर बैठ जाते हैं जिससे दुर्घटना का भय बना रहता है।
कल यानी 30 सितम्बर को सूबे के मुखिया का क्षेत्र में आगमन होगा। फिर भी जिम्मेदारों में किसी प्रकार का असर दिखाई नहीं पड़ रहा है। सूत्रों की मानें तो कहीं ऐसा न हो कि योगी जी के कार्यक्रम परिसर के आस पास आवारा पशुओं का जमावड़ा जाए ताकि वो भी प्रत्यक्ष रूप से अपने सरकारी नुमाइंदों की कार्यशैली को देख सकें।