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मशरूम उत्पादन के लिए सम्पन्न हुआ 03 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

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बहराइच 18 अगस्त। गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अन्तर्गत प्रवासी श्रमिकों को रोजगार सृजन हेतु प्रशिक्षित किये जाने के उद्देश्य से जिला कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच के सभागार में मशरूम उत्पादन विषय पर आयोजित 03 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तिम दिन सभी 35 प्रवासी श्रमिक/कृषक प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र का वितरण किया गया।
यह जानकारी देते हुए प्राध्यापक एवं प्रभारी अधिकारी डाॅ. एम.पी. सिंह ने बताया कि न्यूनतम लागत से मशरूम का उत्पादन कर कम समय में बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है। डाॅ. सिंह ने बताया कि मशरूम उत्पादन शहरी व ग्रामीण दोनों परिवेशों के लिए आजीविका के लिए सस्ता और सरल व्यवसाय है। जिसके लिए न तो बहुत बड़े भू-भाग की आवश्यकता होती है और न ही अधिक पूॅजी का निवेश करना पड़ता है।

डाॅ. सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान प्रवासी श्रमिकों को बटन मशरूम उत्पादन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी। उन्होंने बताया कि बटन मशरूम को माह अक्टूबर से फरवरी तक लगाया जा सकता है क्योंकि इसके लिए 15 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि इस लघु व्यवसाय को भूमिहीन कृषक भी शुरू कर सकते हैं इसको उगाने के लिए कंपोस्ट तैयार की जाती है, जो कि लगभग 1 महीने में बनकर तैयार हो जाती है, उसके बाद स्पाँन मिला कर बांस से बनाए गए घर में इसको प्रारंभ किया जा सकता है।

 

प्रशिक्षण समन्वयक रेनू आर्या द्वारा जानकारी दी गयी कि मशरूम प्रोटीन का एक प्राकृतिक स्रोत है जो मानव स्वास्थ्य को विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाता है। मशरूम के सेवन से शरीर को विटामिंस व मिनरल्स की आपूर्ति होती है। उन्होंने बताया कि एक कप 96 ग्राम मशरूम में कैलोरीज 21ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 3 ग्राम, फायबर 1 ग्राम, प्रोटीन 3 ग्राम, फैट ज़ीरो ग्राम एवं कैल्शियम 2.9 ग्राम होता है जो कैंसर एवं डायबिटीज जैसे रोगों के लिए लाभदायक है।

 

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक शैलेन्द्र सिंह द्वारा मशरूम के प्रकार, कम्पोस्ट प्रक्रिया, मशरूम बीज, स्पाँन का उत्पादन व गुणवत्ता, मानक रख-रखाव परिवहन तकनीकी इत्यादि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गयी। जिला उद्यान निरीक्षक रश्मि शर्मा ने मशरूम के विभिन्न औषधीय गुणों, पोषक, गुणवत्ता तथा खाद्य उत्पाद तैयार करने की जानकारी प्रदान करते हुए सभी प्रशिक्षणार्थियों से मशरूम की खेती करने का आह्वान किया और कहा कि वह इसे स्वरोजगार के रूप में अपनायें क्योंकि इससे कम से कम लागत और समय में बेहतर मुनाफा होगा।

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