लखनऊ: इमामबाड़ा सैयद तक़ी साहब में अशरा मजालिस की पहली मजलिस को विलायत के उनवान पर संबोधित करते हु, मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने कहा कि कोई भी व्यक्ति उस वक्त तक मुसलमान नहीं हो सकता है जब तक विलायत का इक़रार न करे! क्यों कि विलायत दीन का क हिस्सा है जिसका इंकार करने वाला काफ़िर है। क्योंकि Û़दीर में विलायते मौला, कायनात अ-स- के लान के बाद खुदा ने दीन को आयते इक्माल के ज़रिये से कामिल किया है जिसमें फ़रमाया Ûया है आज के दिन दीन कामिल हुआ, नेमतें तमाम हुईं, और अल्लाह इस दीने इस्लाम से राज़ी हुआ। (अल-मायदाः 5 आयत-3) इस से यह साबित होता है कि जब बÛ़ैर विलायते अली के दीन ही कामिल नहीं है तो फिर कोई मुसलमान कैसे हो सकता है? अब और इसके बाद कोई यह कहे कि वह मुसलमान हैं तो वह आतंकवादियों वाले इस्लाम का मान्ने वाला हो सकता है, वह इस्लाम जो रसूल ने अल्लाह के हुक्म से Û़दीर मे हम तक पहुंचाया उस से उनका कोई लेना देना नहीं है।
आखिर मे मौलाना ने जनाबे मुस्लिम बिन अकील अ0स0 की शहादत का जिक्र किया जिसको सुन कर लोग रोये और मातम किया।