उरई (जालौन) किसी भी राष्ट्र के निर्माण में प्राथमिक शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है!इसी दृष्टि कोंण से हमारे देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू कर 6 से 14 वर्ष आयु के सभी बच्चों को अनिवार्य एवं नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है!उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद सन1972 से प्रदेश के सभी जनपदों में परिषदीय विद्यालयों के माध्यम से गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में प्रयासरत है भारत का ह्रदय माने जाना वाला बुन्देलखण्ड क्षेत्र उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में विभक्त बुन्देलखण्ड अंचल के उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा को प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से दो मंडलों झांसी मंण्डल तथा चित्रकूट मंण्डल में विभक्त किया गया है!जिसमें कुल सात जनपद समलित हैं!ये सात जिले झांसी, ललितपुर, जालौन, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट व महोवा हैं!जो अपने प्राकृतिक सौन्दर्य पुरातात्विक संपदा सौर्य से परिपूर्ण इतिहास तथा साहित्यिक उत्कृष्टता के लिए विख्यात है!झांसी मंण्डल के अंतर्गत झांसी ललितपुर और जालौन जिले आते हैं तथा चित्रकूट मण्डल के अन्तर्गत बांदा हमीरपुर चित्रकूट व महोबा जिले आते हैं!बुन्दलखण्ड उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने का संधि स्थल भी है किंतु दुर्भाग्य का विषय है कि बुन्देलखण्ड अंचल में ज्ञान की ज्योति अभी तक पूरी तरह नहीं प्रज्वलित की जा सकी है!फलत:बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र आजादी के 75 वर्ष बीतजाने के बावजूद आज भी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत पिछडा़ है प्राथमिक शिक्षा किसी भी बिद्यार्थी की शिक्षा की नीव होती है!यदि शिक्षा रूपी भवन की नीव ही कमजोर होगी तो उसपर बनने वाला ज्ञान का भवन कितना कमजोर और जर्जर होगा इसकी स्वत: ही कल्पना की जा सकती है!अतएव यदि बुन्देलखण्ड अंचल में ज्ञान की ज्योति जलानी है तथा ज्ञानवान व मेधावी विद्यार्थी तैयार करने हैं तो हमें शिक्षा की नीव अर्थात प्राथमिक शिक्षा को सुदृण करना ही होगा बुन्देलखण्ड अंचल के अनेक क्षेत्र दुर्गम और भौगोलिक रूप से पठारी क्षेत्र होने के कारण यहां के अनेक क्षेत्रों में य तो प्राथमिक विद्यालय नहीं हैं और यदि हैं भी तो वहां मूलभूत सुविधाओं के अभाव से शिक्षक न तो रहना पसंद करते हैं और न हि वहां के प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त होकर जाना पसंद करते हैं! यदि प्राथमिक विद्यालय हैं भी तो दुर्भाग्य का विषय है कि आजादी के 75वर्ष पूर्ण हो जाने के बावजूद बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र के इन सात जिलों में निवास करने वाले बालक बालिकाओं के लिए उपलब्ध प्राथमिक विद्यालयों में आज भी समुचित प्राथमिक शिक्षा की सुविधाओं का घोर अभाव है!