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तुलसीदास जयन्ती समारोह सोल्लास सम्पन्न

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सोनभद्र:  महन्त डॉ. योगानन्द गिरि जी महाराज ,  पद्मश्री अजिता श्रीवास्तव ,  नवगीतकार गणेश गम्भीर और वरिष्ठ पत्रकार विजयशंकर चतुर्वेदी के द्वारा  श्रीरघुनाथजी सरकार के पूजन एवं गोस्वामी तुलसीदासजी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप-प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।
कार्यक्रम के प्रथम चरण में भजनानन्दी बृजेश शुक्ल एवं रजनीश झा के निर्देशन में श्रीरामचरितमानस के पंचम सोपान सुन्दरकाण्ड का संगीतमय पाठ हुआ। ढोलक, हारमोनियम, तबला और मृदंग की संगति से संगीतमय सुन्दरकाण्ड की प्रस्तुति से उपस्थित श्रोता भक्ति-तरंगिणी में गोता लगाते रहे। इसी क्रम में लोकगायिका एवं कवयित्री पद्मश्री अजिता श्रीवास्तव ने तुलसीकृत ‘ठुमुक चलत रामचन्द्र बाजत पैजनियाँ’ की मनोहारिणी प्रस्तुति से श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया।
रॉबर्ट्सगंज के राजा तेजबली सिंह क्लब में विगत 21 वर्ष से श्रीरामचरितमानस महायज्ञ का संयोजन करनेवाले
मानस-प्रचारक पण्डित राकेश त्रिपाठी उपाख्य शिशु को गोस्वामी तुलसीदास सम्मान से विभूषित किया गया। राकेश त्रिपाठी ने अपने उदबोधन में कहा कि गोस्वामी तुलसीदास कलिपावनावतार हैं। जब विदेशी आक्राताओं और विधर्मी मुग़लों के कदाचार से भारतीय प्रजा निराशा के घनान्धकार में डूबी हुई थी, तब गोस्वामी तुलसीदास ने सनातन धर्म को जीवनीशक्ति प्रदान की।
मुख्य वक्ता साहित्यभूषण डॉ. अनुजप्रताप सिंह ने गोस्वामी तुलसीदास के जीवन और साहित्य के अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला। डॉ. सिंह ने तुलसी कृत श्रीरामचरितमानस के अन्यान्य संस्करणों एवं विविध स्थान पर संरक्षित खण्डित-अखण्डित पाण्डुलिपियों की तुलनात्मक व्याख्या की।
आचार्य गणेशदेव पाण्डेय ने तुलसी के राम की मनोहारी व्याख्या की। जहाँ विशिष्ट गणेश गम्भीर ने तुलसी के जीवन और साहित्य पर अधिकाधिक शोध करने पर बल प्रदान किया, वहीं वरिष्ठ पत्रकार विजयशंकर चतुर्वेदी ने सोनभद्र में प्रभु श्रीराम के सन्दर्भ की चर्चा करते हुए बाल्मीकि तुलसी भये तुलसी रामग़ुलाम की सन्दर्भसहित व्याख्या की।
          डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह संजय ने तुलसीप्रिया रत्ना के चरित को रेखांकित करते हुए सवैये की कर्णप्रिय प्रस्तुति से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
        सोनभद्र से आये कविराज पण्डित रमाशंकर पाण्डेय ‘विकल’ ने विश्वकवि गोस्वामी तुलसीदास की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए अपने सरस छन्दों की प्रस्तुति से वातावरण को तुलसीमय कर दिया .
समारोह की अध्यक्षता कर रहे महन्त डॉ. योगानन्द गिरि जी महाराज ने तुलसी के राम’ विषय पर वैदुष्यपूर्ण व्याख्यान दिया। महन्त जी ने कहा कि वाल्मीकि के राम मानव हैं, जबकि ‘तुलसी के राम’ असीम-अनादि अनन्त होने के साथ साथ के समन्वय की विराट् चेष्टा करते हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. जितेन्द्रमार सिंह ‘संजय ने किया। इस अवसर पर राजर्षि बाबू रामप्रसाद सिंह, बाबू महेन्द्रबहादुर सिंह, वरिष्ठ पत्रकार सनोज तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार सन्दर्भ पाण्डेय, जयकुमार, वीरेन्द्रप्रताप सिंह, धर्मेन्द्रकुमार सिंह, ज्ञानेन्द्रकुमार सिंह, नरेन्द्रबहादुर सिंह, शिवेन्द्रकुमार सिंह, कपिल द्विवेदी, आदित्यनारायण सिंह, मिश्रीलाल, छोटेलाल शर्मा सहित बड़ी संख्या में मिर्ज़ापुर-सोनभद्र के बौद्धिक कविताप्रेमियों की उपस्थिति सराहनीय रही। अन्त में संयोजक डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय’ ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
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