लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिता के निधन के बाद भी काम में जुटे रहे। लॉकडाउन के कारण उन्होंने अंतिम संस्कार में नहीं जाने का फैसला लिया। उन्होंने इस दुख की घड़ी में भी अपने राज्य को छोड़कर नहीं जाने का फैसला कर राजधर्म के प्रति अपनी निष्ठा का परिचय दिया।
योगी आदित्यनाथ लखनऊ में रहते हुए ही बेटे होने का फर्ज भी निभा रहे हैं। वह मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर कोरोना वायरस की कोर टीम (टीम-11) के साथ बैठक करने पहुंचे। बैठक से पहले उन्होंने सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दो मिनट का मौन रखकर स्वर्गीय पिता आनंद सिंह बिष्ट की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
इसके बाद योगी फिर से कोरोना के साथ जंग की रणनीति बनाने में जुट गए। मालूम हो कि उनके पिता का दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सोमवार सुबह 10.44 बजे निधन हो गया था।
आज सुबह उत्तराखंड स्थित पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया। योगी इस दौरान वहां मौजूद नहीं थे। उन्होंने सोमवार को ही अपनी मां को पत्र लिखकर कहा था कि मुझे इस बात का बहुत दुख है। अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, लेकिन वैश्विक महामारी के खि *लाफ देश की लड़ाई में उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ने के कर्तव्यबोध के कारण मैं ऐसा न कर सका।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की सफलता और कोरोना को हराने की रणनीति के कारण वो अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में भी भाग नहीं लेंगे। इसके साथ ही सीएम योगी ने अपनी मां और परिवारवालों से अपील की थी कि वे भी लॉकडाउन का पालन करें और यह सुनिश्चित करें कि अंतिम संस्कार में कम से कम लोग शामिल हो