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बाबा रामदेव की आढ़ में योग व आयुर्वेद पर आयुर्वेद पर सुनियोजित हमला

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लखनऊ : कोरोना काल में लोग आपदा में भी अपने लिये राजनैतिक अवसर अवसर की तलाष कर रहे हैं। वर्तमान समय में भारत की प्राचीन संस्कृति सभ्यता पहचान के खिलाफ इंटरनंट मीडिया पर एक सुनियोजित साजिष के तहत अभियान चलाया जा रहा है। भारत विरोधी वामपंथी जेहादियों ने अब अपने सभी घोड़े खोल दिये हैं। वर्तमान मं बाबा रामदेव की ओर से दिये गये एक तथाकथित अपुष्ट बयान के आधार पर जिस प्रकार से आयुर्वेद व एलोपैथ को लेकर एक नयी बहस छेड़ दी गयी है और मेडिकल संगठनआईएमए की ओर से बाबा रामदेव के खिलाफ एक हजार करोड़ की मानहानि का केस भी दायर कर दिया गया है । आईएमए ने अब पीएम मोदी को एक पत्र लिखकर बाबा रामदेव केेखिलाफ वैैक्सीन पर भ्रम फैलाने के आरोप में देषद्रोह का केस दर्ज करने की भी मांग की है।

आईएमए की यह मांग पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और प्राचीन भारतीय ज्ञान योग व आयुर्वेद के खिलाफ एक गहरी साजिष के तहत की गयी है। असल में बाबा रामदेव जी ने आईएमए की ओर से हिंदुओं को ईसाई बनाने का जो गहरा षड़यंत्र रचा गया था उसे उन्होंने पूरी ताकत से व बड़ी आसानी से बेनकाब कर दिया है। अगर वैक्सीनेषन पर फैलाये जा रहे भ्रम के कारण बाबा रामदेव के खिलाफ देषद्रोह का केस दायर किया जाने की मांग उठती है तो फिर इसके दायरे संपूर्ण विपक्ष के वे सभी नेता भी आ जायेंगे जो अब तक किसी न किसी प्रकार से वैक्सीन के खिलाफ जनता के मन में किसी न किसी प्रकार से भ्रम व अफवाहंेे फैलाकर वैक्सीनेषन अभियान को कमजोर करने का असफल प्रयास कर रहे हैं। इंटरनेट मीडिया पर वैक्सीनेषन पर अभी भी भ्रम व अफवाहों का फैलाया जाना जारी है उन सभी पर देषद्रोह का मुकदमा कायम किया जाना चाहिये। अभी सोषल मीडिया पर एक यह विचार बहुत ही सुनियोजित तरीके से फैलाया गया कि कोरोना की वैक्सीन लगवाने वाले सभी लोगोें की दो साल बाद मौत हो जायेगी, यह खतरनाक अफवाहें कौन फैला रहा है ? यह अफवाह कितनी खतरनाक और विकृत है ,जरा सोचिये दो साल क्यों कहा गया क्योकि अभी 2021 चल ही रहा है और दो साल बाद लोकसभा चुनाव होंगे क्या दो साल बाद सभी मर जायेंगे। इस प्रकार की अफवाहें चलाने वालोें को तो मृत्युंदंड दिया जाना चाहिये।

बाबा रामदेव जी ने अपने किसी भी भाषण व टीवी कार्यक्रम में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीनेषन के खिलाफ भ्रम फैलाने के लिए कोई बयान ही नहीं दिया है अपितु वह तो खुद आगे आकर सभी लोगों को वैक्सीनेषन करवाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। बाबा रामदेव जी ने कंेद्र सरकार के कहने पर अपनी ओर से माफी भी मांग ली है लेकिन अब जिस प्रकार से नये सिरे से बाबा रामदेव पर हमला हो रहा है वह एक सुनियांेजित साजिष ही है।असल बात यह है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएषन (आईएमए) के अध्यक्ष डाक्टर जानरोज आस्टिन जयलाल कटटर ईसाई हैं। वह मोदी सरकार और हिंदू राष्ट्रवाद के प्रति अपनी खुन्नस जाहिर करते रहते हैं। वे चाहते हैं कि अस्पतालों का इस्तेमाल भी ईसाई धर्मान्तरण के लिए हो। डाक्टर जयलाल ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि राष्ट्रवादी सरकार आधुनिक दवाआंे को पष्चिमी बताकर उन्हें नष्ट करना चाहती है। वे अपने पद का इस्तेमाल ईसाई मिषनरी गतिविधियों के लिए भी करना चाहते हैं।

उनका एक इंटरव्यू कटटर ईसाई पत्रिका क्रिष्चिनिटी टुडे में प्रकाषित हुआ था इस इंटरव्यू में जानरोज आस्टिन जयलाल किस प्रकार से आधुनिक चिकित्सा का प्रयोग ईसाइयत को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं और वह किस प्रकार से आधुनिक चिकित्सा का प्रयोग ईसाइयत को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं यह प्रकाष डालता है कि और किस प्रकार वह हिंदुओं के प्रति अपनी घृणा के लिए आधुनिक चिकित्सा को ढाल बना रहे हैं। इसमें यह भी लिखा गया है कि कैसे महामारी ने चर्च को एक्षन मंे ला दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस महामारी ने सांसदों व विधायकों को भी नहीं छोड़ा है इसलिये लोगों को यकीन हुआ है कि केवल ग्रेस आफ गाॅड आलमाइटी ही उन्हें बचा सकता है। एक प्रकार से हिंदुओं के धर्मातरण की साजिष बेनकाब हो चुकी है । अगर यह मामला आगे बढ़ता है तो इसकी जांच व आंच बहुत दूर तक जा सकती है। आज सोषल मीडिया पर डाक्टर जयलाल की तीखी निंदा हो रही है तथा उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की जा रही है। सोषल मीडिया पर जयलाल के खिलाफ तीखा अभियान चल रहा है।

सबसे बड़ी बात यह है कि एलोपैथी चिकित्सांे के संगठनों से माफी मांगने के बाद बाबा रामदेव ने टिवटर पर जिन 25 सवालोें के जवाब एलोपैथी चिकित्सकों से मांगे थे उसका वह लोग अभी तक जवाब नहीं दे सके हैं। कोरोना महामारी ने समाज के सामने एक नई दृष्टि विकसित की है। आयुर्वेद और होम्योपैथ ने अपनी प्रसांगिकता को आगे बढ़ाया है। इसलिए एलोपैथी को एक डर का आभास हो रहा है। यही कारण है कि आयुर्वेद और योग के प्रति विष्वास को एक बार पुनः तोड़ने के लिए सुनियोजित हंगामा खड़ा किया जा रहा है। बाबा रामदेव व पतंजलि के खिलाफ एक के बाद एक सुनियोजित तरीके से संगठित गिरोह के द्वारा अनाप -षनाप अफवाहें खूब तेजी से फैलायी जा रही हैं। कोरोना की दूसरी लहर की षुरूआती दिनों मंे ही यह समाचार व अफवाहें फैलायी गयी कि पतंजलि में कई विद्यार्थी व अध्यापक कोरोना से पीडित हो गये हैं जो बाद में पूरी तरह से निराधार निकली।

यह बात कटु सत्य है कि आयुर्वेद के बिना रोगमुक्त भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। आज कोरोना काल में अधिकांष कोरोना पीड़ित परिवार व व्यक्ति आयुर्वेद व योग का सहारा लेकर पूरी तरह से स्वस्थ हो रहे हैं।गला खराब होने व जुकाम आदि होने पर गरारा और काढ़ा पीना तो सदियो पुरानी परम्परा रही है। फेफड़ां को मजबूती प्रदान करने के लिए प्राणायाम एक बहुत बड़ा आधार बना है। आज कोरोना से प्रभावित षत प्रतिषत मरीज योग व प्रणायाम के माध्यम से अपने फेफड़ोे को मजबूत कर रहे हैं। होम आइसोलेषन में लोंगो ने योग, ध्यान व प्राणायाम को ही अपनाया और स्वस्थ हो रहे हं।

वर्तमान समय में जो लोग बाबा रामदेव,पतंजलि व आयुर्वेद पर संदेह पैदा कर रहे हैं उन्हें अपने अंदर झांककर देखना चाहिये। याद रखिये हम यह विरोध करके पतंजलि का नहीं भरत का नुकसान कर रहे हैं? लाला लाजपत राय ने कहा था कि पूरी दुनिया में केवल भारतीय हिंदू ऐसी कौम है जो अपने महापुुरूषों, अपने व्रत त्यौहार, परंपराओं संस्कृति और अपने भगवानां को गाली देकर उनका अपमान करके गर्व महसूस करते हं? आज पतंजलि पर हमले के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि इसने कोलगेट जो नीम, तुलसी वेद रामायण महाभारत को नहीं मानती थी हम हडिडयों का चूर्ण रगड़ते थे उस 80 साल पुरानी कोलगेट को इसी हवाई चप्पल में रहकर फटी बनियान पहनने वाले आचार्य ने वेदषक्ति बनने को मजबूर कर दिया। आज घर -घर योग व प्रणाायाम को लोग जान गये हैं तथ उसकी महत्ता को समझकर हर कोाई अभ्यास कर रहा है और स्वस्थ हो रहा है। बाबा रामदेव के नेतृत्व में आज योग विष्व के सभी दो सौ देषों तक पहंुच चुका है। योग व अध्यात्म के बल पर ही भारत विष्व गुरू बनने की ओर अग्रसर हो रहा है तथा सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार हो रहा है।

आज कोरोना काल में षरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए लोगोें ने दूध और हल्दी को अपनाया है और वह लोग इम्युनिटी बढ़ाने वाले उत्पाद बूस्ट , कम्प्लान को भूल चुके हंै। अब लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए च्यवनप्राष का सेवन कर रहे हैं। खांसी भगाने के लिए भी आयुर्वेद का महत्व बढ़ गया, नींद लाने वाले अंग्रेजी की सिरप की बिक्री लगभग आधी से भी कम रह गयी है यही कारण है कि अब एक बार फिर विदेषी कंपनियांें ने अपने जासूस आईएमए अध्यक्ष के नेतृत्व में बाबा रामदेव व पतंजलि के खिलाफ जोरदार जहर उगला है । इस समय आवष्यकता है कि पूरा भारत एकमत होकर विदेषी साजिषों को मुहीतोड़ जवाब दे और अपनी संस्कृति व समाज कही रक्षा कही जाये। वर्तमान पूरे प्रकरण में वास्तव में सजा के असली गुनाहगार तो वे लोग हैं जो अभी तक वैक्सीनेषन को लेकर समाज में भ्रम फैला रहे थे। कोरोना बाबा रामदेव ने नहीं अपितु कोराना मानसिक विकृति के राजनैतिक विचारकों ने फैलाया है। असली देषद्रोही तो वे लोग हे। जो कहते रहे कि हम बीजेपी की वैक्सीन नहीं लगवायेंगे ? यह वैक्सीन लगवाने से लोग नपुसंक हो जायेंगे ऐसी अफवाहें फैलाने वाले लोग ही असली देषद्रोही हैं।

बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण निःस्वार्थ भाव से देष की सेवा कर रहे हैं।पतंजलि की ओर से बनायी गयी कोरोनिल को लेकरभी विवद खड़ा किया गया लेकिन आज उसकी भी बाजार में भारी डिमांड है। पतंजलि के आज कई अस्पताल ,अनाथालय, विद्यालय चल रहे हैं। षहीदांे को सम्मानित किया जाता है लंबगर चलाये जा रहे हैं, किसान के खेत से जड़ी बूटियां खरीदकर मिलावट रहित चीजंे बनाकर उन्होंने पाप किया है क्या ? बाबा रामदेव के अथक प्रयासों से विदेष कंपनियांे ने जिस प्रकार से भारत को जकड़ लिया था आज वह जकड़न समाप्त हो चुकी है लोग स्वदेषी उत्पादों को अपनाने के लिये तेजी से प्रोत्साहित हुए। यही कारण है कि आज बाबा रामदेव के खिलाफ ऐसे विदेषी साजिषकर्तओें को एक बार फिर अवसर मिला है लेकिन योग व आयुर्वेद तथा भारतीय परम्पराओं के खिलाफ यह साजिषें कामयाब नहीं होंगी।
प्रेषक- मृत्युंजय दीक्षित
फोन नं.- 9198571540

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