New Ad

गमगीन माहौल में 72 ताबूतों का जुलूस निकाला गया।

0

लखनऊ: हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की चार साल की मासूम बेटी शहजादी जनाबे सकीना (स.अ.) की शहादत के मौके पर सोमवार को आसिफी इमामबाड़े में कर्बला के बहत्तर शहीदों के ताबूतों की जियारत करायी गयी।

इस मौके पर मौलाना तकी रज़ा ने मजलिस को खिताब करते हुए जब इमाम की मासूम बेटी शहज़ादी जनाबे सकीना (स.अ.) की शहादत का जिक्र किया तो लोगों में कोहराम मच गया। मजलिस के बाद जैसे ही पहला ताबूत निकला तो वहां मौजूद अजादारों की सिसकियों की आवाज से माहौल गमगीन हो गया। सबसे पहले मुस्लिम बिन औसजा का ताबूत निकला जैसे-जैसे अन्य शहीदों के ताबूत निकलना शुरू हुए तो ज़ीशान अली आज़मी अपने मख्सूस अंदाज में उनका ताबूतों का परिचय बता रहे थे,

जिसे सुनकर लोगों की आंखों से जारो-कतार आंसू निकल रहे थे। वहां मौजूद लोग ताबूतों पर फूलों और कपड़े की चादरें व फूलों के हार डाल रहे थे। ताबूतों के अलावा हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) की सवारी का प्रतीक जुलजनाह, हजरत अब्बास (अ.स.) का अलम और हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) के छह माह के मासूम बेटे हजरत अली असगर (अ.स.) के झूले की भी जियारत करायी गयी। जिसे लोग चूमने के लिए बेकरार थे। ताबूतों के पीछे अंजुमन शब्बीरिया नौहा पढ़ती चल रही थी। ‘तड़प कर शहे कर्बला ने पुकारा इलय्या इलय्या सकीना सकीना, बहत्तर के दाग एक दिल पर उठाये मुझे मेरे बाबा बहुत याद आये, उठाया था

अकबर का जिस दम जनाजा। ताबूतों की जियारत के लिए लखनऊ सहित प्रदेश भर से हजारों की संख्या में अजादारों की भीड़ उमड़ी थी। इस मौके पर चाय, काफी और लंगर का भी इंतजाम किया गया था। कार्यक्रम का आयोजन अंजुमन शब्बीरिया शीशमहल ने किया था।

Leave A Reply

Your email address will not be published.