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परिवार की खुशहाली के लिए शादी के तुरंत बाद अपनाएं शगुन किट – सीएमओ 

आशा कार्यकर्ता शादी के तुरंत बाद इसे शगुन के रूप में भेंट करती हैं।

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बहराइच । शादी के मौके पर मिलने वाले तमाम तोहफों में से उसी दरम्यान मिलने वाला एक ख़ास तोहफा “शगुन किट’ आपके पूरे जीवन को खुशहाल बना सकता है। बस जरूरत है उसकी खासियत को समझते हुए सही मायने में जीवन में अपनाने की।इस किट में श्रंगार सामग्री के साथ ही परिवार नियोजन के अस्थायी साधन कंडोम व गर्भ निरोधक गोलियों को शामिल किया गया है। आशा कार्यकर्ता शादी के तुरंत बाद इसे शगुन के रूप में भेंट करती हैं इसीलिए इसे शगुन किट भी कहते हैं।शगुन किट में मौजूद परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों को अपनाने से  पति-पत्नी को एक-दूसरे को समझने और आर्थिक रूप से मजबूती लाने का पर्याप्त समय मिल जाता है। इस तरह यह किट महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के साथ ही परिवार के हर सदस्य की खुशहाली का जरिया भी बन सकती है। जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी बृजेश सिंह  का कहना है कि विवाह के बाद बहू के ससुराल में कदम रखते ही आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग की ओर से शुभ शगुन के रूप में शगुन किट का तोहफा देती हैं। किट में पति और पत्नी के लिए आपातकाल में प्रयोग की जाने वाली गर्भनिरोधक गोलियां, सामान्य गर्भनिरोधक गोलियां और कंडोम  होते हैं ।” किट में स्वास्थ्य और सफाई के लिए ज़रूरी कुछ सामान भी होता है। उन्होंने कहा “किट में एक शीशा, कंघी,  कुछ रुमाल और तौलिये के साथ ही विवाह पंजीकरण फार्म व स्वास्थ्य मंत्री का बधाई पत्र तथा सामान्य भाषा में गर्भनिरोधक से जुड़े सवाल-जवाब भी होते हैं।पयागपुर के सफ़लू पुरवा निवासी रेखा देवी पत्नी सूरज का कहना है कि उनकी शादी पिछले साल मई माह में  हुई थी । जब वह ससुराल पहुँचीं तो आशा कार्यकर्ता गुड़िया देवी ने उन्हे शगुन किट भेंट की और बताया कि कम से कम दो साल बाद ही बच्चे की योजना बनाने से आपका शरीर स्वस्थ रहेगा । उन्होने किट में उपलब्ध गर्भ निरोधक अस्थायी साधनों  के बारे में जानकारी दी और कहा कि इसे अपनाने से पति-पत्नी को एक दूसरे को अच्छी तरह से समझने का मौका मिल जाता है। बात समझ में आयी, पति ने भी पूरा साथ दिया और हमने तीन साल बाद बच्चे के जन्म के बारे में योजना बनायी है। वर्तमान में परिवार नियोजन के अस्थायी साधन अपनाकर हम खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं ।
मातृ एवं शिशु मृत्यु में आएगी कमी 
यूपी टीएसयू के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ ने बताया कि माँ और बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए गर्भ ठहरने की संभावना और उसका समाधान कैसे किया जा सकता है इसको जानना अति आवश्यक है । इसके लिए 20 साल की उम्र के बाद गर्भधारण व दो बच्चों के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर रखने से माँ के अंदर उपस्थित पोषक तत्व जो कि गर्भावस्था एवं स्तनपान हेतु आवश्यक हैं की पूर्ति हो जाती है। उन्होने बताया कि माँ के अंदर पोषक तत्वों में कमी की वजह से नवजात शिशु की मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 सतीश कुमार सिंह का कहना है कि नई शगुन किट कम उम्र की महिलाओं को यह अवसर देता है कि वह जब तक सही उम्र न आए तब तक गर्भधारण से बच सकती हैं, इससे गर्भावस्था के दौरान आने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है।
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