
नई दिल्ली : सोशल मीडिया एक्स पर किए गए लंबे पोस्ट में अखिलेश यादव ने इसे संविधान के खिलाफ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह संविधान को खत्म करने का एक षडयंत्र है। उन्होंने देश, प्रदेश के लोगों से लेकर पत्रकारों और लोकतंत्र के सच्चे पक्षधरों से इसके खिलाफ खड़ा होने की अपील की।
उन्होंने कहा कि एक देश-एक चुनाव को लेकर लोगों में जागरूकता जरूरी है। इसका बहुत गहरा संबंध हमारे देश, प्रदेश, समाज, परिवार और हर एक व्यक्ति के वर्तमान और भविष्य से है। इसलिए इस पर ध्यान देने की जरूरत है। अखिलेश यादव ने कहा कि हमारे देश में जब राज्य बनाए गये तो ये माना गया कि एक तरह की भौगोलिक, भाषाई और उप सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के क्षेत्रों को ‘राज्य’ की एक इकाई के रूप में चिन्हित किया जाए। इसके पीछे की सोच ये थी कि ऐसे क्षेत्रों की समस्याएं और अपेक्षाएं एक सी होती हैं। इसीलिए इन्हें एक मानकर नीचे से ऊपर की ओर ग्राम, विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा के स्तर तक जन प्रतिनिधि बनाएं जाएं
अखिलेश यादव ने कहा कि लोकसभा पांच वर्ष तक की समयावधि के लिए होती है। ऐसा होने से लोकतंत्र की जगह एकतंत्रीय व्यवस्था जन्म लेगी, जिससे देश तानाशाही की ओर जाएगा। दिखावटी चुनाव केवल सत्ता पाने का जरिया बनकर रह जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर भाजपाइयों को लगता है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ अच्छी बात है तो फिर देर किस बात की। केंद्र और सभी राज्यों की सरकारें भंग करके तुरंत चुनाव कराइए। दरअसल ये भी नारी शक्ति वंदन की तरह एक जुमला ही है। भाजपा वाले एक तरफ ‘एक देश’ की बात तो करते हैं, पर देश की एकता को खंडित कर रहे हैं। बिना एकता के ‘एक देश’ कहना व्यर्थ है। दूसरी तरफ, ये जब ‘एक चुनाव’ की बात करते हैं तो उसमें भी विरोधाभास है। दरअसल, ये ‘एक को चुनने’ की बात करते हैं। यह लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ है।