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कोरोना की दूसरी लहर में दिन प्रतिदिन नए रिकार्ड बना रही है

अलीगढ़ : कोरोना की दूसरी लहर में दिन-प्रतिदिन नए रिकार्ड बना रही है। बृहस्पतिवार को जिले में 460 कोरोना केस मिले हैं, जबकि 265 लोग स्वस्थ हुए हैं। एक्टिव केसों की संख्या 3214 हो गई है। बृहस्पतिवार सुबह स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल के अनुसार चार मरीजों की मौत हुई हैं। इन्हें मिलाकर जिले में अब तक 85 मौतें हो चुकी हैं। कोरोना की दूसरी लहर खतरनाक साबित हो रही है। संक्रमण के रोजाना रिकॉर्ड टूट रहे हैं। बुधवार को जिले में 458 पॉजिटिव केस थे तो बृहस्पतिवार को संख्या बढ़कर 460 पहुंच गई। इन्हें मिलाकर वर्तमान में सक्रिय मरीजों की संख्या 3214 हो गई है। अब तक कुल 17893 पॉजिटिव केस मिले हैं। जबकि बृहस्पतिवार को 5018 सैंपल को मिलाकर अब तक 7.81 लाख लोगों के सैंपल लिए जा चुके हैं। बृहस्पतिवार को स्वस्थ हुए 265 लोगों को मिलाकर 14835 लोग स्वस्थ हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर बृहस्पतिवार सुबह तक दर्ज 4 लोगों की मौत मिलाकर अब तक 85 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। सीएमओ डॉ बीपी कल्याणी ने बताया कि बृहस्पतिवार रात आई रिपोर्ट में कोरोना से मौत का आंकड़ा दर्ज नहीं है। इसकी रिपोर्ट शुक्रवार सुबह तक मिल पाएगी। उन्होंने लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और आवश्यक काम से ही घर से बाहर निकलने की अपील की है।

अजित सिंह ने राजनीति में आने से इनकार कर दिया था

अलीगढ़ : राजनीति के फलक पर तारे की मानिंद चमकने वाले अजित सिंह ने राजनीति में आने से इनकार कर दिया था, क्योंकि वह अमेरिका में रहना चाहते थे। उनसे राजनीति में आने का अनुरोध पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के खास राजेंद्र सिंह ने किया था। बाद में मां गायत्री देवी के कहने पर वह अमेरिका से स्वदेश आ गए थे। अजित सिंह का अलीगढ़ से भी खास रिश्ता है, क्योंकि उनकी ससुराल विष्णुपुरी में है। सिंचाई विभाग में इंजीनियर सुखवीर सिंह की बेटी से अजित सिंह का रिश्ता हो गया। उस समय चौधरी चरण सिंह उप्र के मुख्यमंत्री थे। शादी में राजेंद्र सिंह, दलवीर सिंह, योगेश शर्मा सहित राजनेता शामिल हुए। जब चौधरी चरण सिंह बीमार हुए, तब अलीगढ़ राजनीति का बड़ा गढ़ बना, क्योंकि राजेंद्र सिंह प्रदेश अध्यक्ष व विधायक दल के नेता थे। एक खेमे के मुलायम सिंह यादव, हेमवती नंदन बहुगुणा चाहते थे कि वह चौधरी चरण सिंह के राजनीतिक वारिस हो जाएं, तो राजेंद्र सिंह वाला खेमा चाहता था कि अजित सिंह को अमेरिका से बुलाकर उन्हें ही राजनीतिक वारिस बनाया जाए। अजित सिंह की मां गायत्री देवी, राजेंद्र सिंह को अपना बड़ा बेटा मानती थीं। जब चौधरी चरण सिंह कोमा में चले गए तो गायत्री देवी ने कहा कि अजित सिंह को बुला लिया जाए।

राजेंद्र सिंह ने उन्हें फोन करके भारत में राजनीति करने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। बाद में मां ने उन्हें बुलाया। अजित भारत आ गए और राजनीतिक विरासत संभाल ली। इसी बीच मुलायम सिंह यादव का खेमा एक तरफ हो गया और दूसरा खेमा राजेंद्र सिंह व अजित सिंह का एक तरफ हो गया। चंद्रशेखर के नेतृत्व में जनता पार्टी बनी। बाद में अजित सिंह ने जनता दल नाम से नया दल बना लिया।

जब राजेंद्र सिंह इगलास विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हारे और मुलायम सिंह चुनाव जीत गए थे तब मुलायम मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। अजित सिंह भी चुनाव हार गए थे। इसी बीच राजेंद्र सिंह व अजित सिंह के परिवार के बीच दूरियां बढ़ती गईं। अजित सिंह फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। बाद में अजित सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल बना लिया, जबकि राजेंद्र सिंह ने चौधरी चरण सिंह द्वारा बनाए गए लोकदल को सक्रिय कर दिया।

बरौली के भाजपा विधायक ठा. दलवीर सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह व रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. अजित सिंह से पारिवारिक संबंध हैं। उन्होंने कहा कि जब वह छात्र थे, तब चौ. चरण सिंह सभा करने कंपनी बाग आए थे। उनके साथ जुड़ गया। जब राजनीति में सक्रिय हुआ, तब अजित सिंह ने पहली बार उन्हें टिकट दिया और विधायक बन गया।

भाजपा में आने से पहले उन्हें बताया, लेकिन उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की, बल्कि मुस्करा दिए। उनसे कहा कि रालोद व भाजपा गठबंधन करके चुनाव लड़े। इस पर चौधरी साहब ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि अगर रालोद-भाजपा गठबंधन हो गया, मुस्लिम वोट बैंक रालोद से खिसक जाएगा।दलवीर सिंह ने अजित सिंह के बारे में एक और किस्सा सुनाया। एक बार मेरठ में किसान आंदोलन हो रहा था। इसमें पुलिस लाठीचार्ज करने वाली थी। इसकी जानकारी चौधरी साहब को देते हुए कहा कि यहां आपको आगे नहीं आना चाहिए। इस पर बोले, ऐसा नहीं हो सकता। वह आगे आए। मजबूरन सभी को आगे आना पड़ा। भले ही पार्टी उन्होंने बदल ली, लेकिन चौधरी साहब से रिश्ता हमेशा बना रहा।

जिले के सशक्त किसान नेता रहे राजेंद्र सिंह के राजनीतिक सलाहकार योगेश शर्मा बताते हैं कि जब अमेरिका से अजित सिंह स्वदेश आ गए, तो एक बड़े चेहरे के रूप में सबके सामने लाने के लिए राजेंद्र सिंह ने सभी तैयारियां मुकम्मल कर लीं। अजित सिंह ने दिल्ली से लेकर पूर्वांचल तक किसान पद यात्रा शुरू की, जिसकी रूप-रेखा राजेंद्र सिंह ने तैयार की थी। इसका उद्देश्य अजित सिंह के चेहरे को चमकाना और दल को खड़ा करना था। दिल्ली से अलीगढ़ आते-आते अजित सिंह इतने मशहूर हो गए थे, उनसे जुड़ते गए। योगेश शर्मा ने कहा कि तुर्क नेता चंद्रशेखर यहां अजित सिंह से मिलने आए थे। हाथरस में सभा हुई थी। चंद्रशेखर ने उसी सभा में कहा था कि जब कोई नया दल बनेगा, तब अजित सिंह दल के कर्ता-धर्ता होंगे।

राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह अब दुनिया में नहीं रहे। उनका अलीगढ़ जिले से खास रिश्ता है, क्योंकि यहां से उनकी मां गायत्री देवी और बहन ज्ञानवती विधायक रह चुकी हैं। अलीगढ़ में अंतिम बार अजित सिंह फरवरी 2018 में आए थे।

अजित सिंह की मां व बहन की कर्मभूमि होने के नाते अजित सिंह का चुनावी सभा में आना होता था। कभी-कभी निजी कार्यक्रमों में भी शिरकत करते थे, लेकिन वर्ष 2018 के बाद से वह अलीगढ़ नहीं आए। पूर्व विधायक भगवती प्रसाद सूर्यवंशी ने बताया कि चौधरी साहब वर्ष 2018 में लोक निर्माण विभाग के अतिथि गृह में आए थे। उन्होंने कहा कि चौधरी साहब की बहन ज्ञानवती खैर और मां गायत्री देवी इगलास विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुकी हैं।

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह के निधन से कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई। वरुणालय गेस्ट हाउस में दिवंगत आत्मा के लिए प्रार्थना की गई। पूर्व प्रदेश महासचिव अब्दुल्ला शेरवानी ने कहा कि उनके निधन से पार्टी की अपूर्णनीय क्षति है।

इस अवसर पर पूर्व जिला अध्यक्ष राम बहादुर सिंह, पूर्व विधायक भगवती प्रसाद सूर्यवंशी, वीरपाल सिंह दिवाकर, फहीम खान गुड्डू, नीरज शर्मा, चौधरी हमवीर सिंह, राधेश्याम चौधरी, ऋ षि पाल सिंह आदि मौजूद रहे। सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अश्विन शर्मा ने कहा कि अजित सिंह का निधन अत्यंत दुखद है।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. रक्षपाल सिंह ने अजित सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है। डॉ. बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ आगरा के अध्यक्ष डॉ. ओमवीर सिंह, महामंत्री डॉ. भूपेंद्र चिकारा व शिक्षक संघ कार्यकारिणी ने अजित सिंह के निधन पर शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं।

बरौली विधायक ठा. दलवीर सिंह ने कहा कि किसानों की सशक्त आवाज, आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री, उनके मार्गदर्शक चौधरी अजित सिंह के निधन की खबर से स्तब्ध हूं। चौधरी साहब ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया और मार्गदर्शन दिया। ईश्वर, उनकी आत्मा को शांति दे और परिवार को दुख सहने की शक्ति दे।

मुख्य मार्गों पर नहीं हो रहा कोरोना कर्फ्यू का पालन

अलीगढ़ : मुख्य बाजारों में सुबह से ही तालाबंदी रही। सुबह व शाम के नियत समय पर लोगों ने दूध, सब्जी, फल आदि की खरीदारी की। शाम को लोग कालोनियों में टहलने निकले। लेकिन दोपहर को शहर की अधिकांश गली-मोहल्ले, अपार्टमेंट और कालोनियों में लोग घरों में कैद हो गए। गलियों में काफी कम संख्या में लोग निकले तो अधिकांश जगहों में सन्नाटा रहा। जबकि शहर के रामघाट रोड, आगरा रोड और जीटी रोड पर तस्वीर इसके उलट थी। यहां सामान्य रूप से आवागमन जारी रहा। पुलिस ने चालान करने शुरू किए तो लोगों ने यहां विवाद किया। थक हारकर पुलिस भी एक तरफ हट गई और लोगों का आवागमन जारी रहा। सुबह से लेकर शाम तक मुख्य मार्गों पर लोग अपने गंतव्य के लिए टेंपो, लोडर और निजी वाहनों का इंतजार करते दिखे।

ऑक्सीजन की किल्लत के चलते मरीजों की सांसें अटकने के मामले प्रकाश में आ रहे

अलीगढ़ : मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत के चलते मरीजों की सांसें अटकने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। कांग्रेस नेता इंजीनियर आगा यूनुस ने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की रिटायर्ड शिक्षिका फकरू निशा (80) कोरोना संक्रमण से ग्रस्त हैं, उनके परिजनों को प्लांट से 6 घंटे की कवायद के बाद ऑक्सीजन मिल सकी, जिसके बाद शिक्षिका की अटकी सांसों को राहत मिल सकी।

कांग्रेस नेता ने कहा कि होम आइसोलेशन के मरीजों के लिए राधा गैस प्लांट से ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए नायब तहसीलदार की ड्यूटी रात 11 बजे से सुबह 7 बजे तक के लिए थी। फकरू निशा घर में आइसोलेशन थी। रात 11 बजे जब उनके परिवार के सदस्य सिलिंडर भरवाने के लिए प्लांट पहुंचे तो प्रशासनिक अनुमति मांगी गई। इधर, परिवार वाले औपचारिकताएं पूरी करने में फंसे रहे और दूसरी ओर महिला के सिलिंडर की ऑक्सीजन समाप्त होती रही। इस दौरान प्लांट पर तैनात नोडल अधिकारी का फोन तक नहीं उठा। बाद में पर्यवेक्षक से संपर्क हुआ तब सुबह 3 बजे ऑक्सीजन मिल सकी। इधर, रामघाट रोड पर स्थित निजी हॉस्पिटल में भर्ती पूर्व सैनिक एसके राघव के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर के लिए परिजन इधर-उधर भटकते रहे।

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