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आजादी की लड़ाई में अमर षहीदों ने अपने प्राणों की दी आहुति: देवेन्द्र सिंह

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गंाधी भवन में जयंती पर याद किये गये भगत सिंह

बाराबंकी : शहीद भगत सिंह की जयन्ती पर मंगलवार को गांधी भवन में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ स्मृति सभा का आयोजन किया गया। जिसमें अपने परिवर्तनकारी विचारों व अद्वितीय त्याग से स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा देने वाले देश के युवाओं में स्वाधीनता के संकल्प को जागृत करने वाले अमर शहीद भगत सिंह के चरणों में कोटि कोटि नमन किया। इस अवसर पर गोरखपुर से आए वयोवृद्ध समाजवादी चिन्तक सरदार देवेन्द्र सिंह ने कहा कि देश के अमर शहीदों ने आजादी की लड़ाई में अपना सबकुछ न्यौछावर करते हुए देश की बलिबेदी में अपने प्राणों की आहुति दी है। शहीद भगत सिंह का जीवन युगों युगों तक देश को प्रेरणा प्रदान करेगा।

उन्होने कहा कि हम सभी को आज के दिन देश की एकता अखण्डता को बनाये रखने एवं फासिस्टवादी ताकतों को नेस्तनाबूद करने का संकल्प लेना चाहिए। सहजनवां से पूर्व विधायक टी.पी शुक्ला ने कहा कि आजादी मिलने के 16 साल पूर्व ही जिन्होंने जवानी में अपने प्राण देश के लिए न्यौछावर कर दिये ताकि आगे की पीढि़यां स्वतंत्रता की खुली हवा में सांस ले सके और एक नये भारत का निर्माण कर सके। गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ षर्मा ने उपस्थित लोगों में जोश भरते हुए कहा कि शहीद भगत सिंह के विचार आज भी किसी नौजवान में क्रान्ति भड़का देने की तपिश रखते हैं। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए चले आन्दोलनों में शहीद भगत सिंह की अहम भूमिका रहती थी।

1920 में भगत सिंह पहली बार महात्मा गांधी के अहिंसा आन्दोलन में शामिल हुए। वह माक्र्स के विचारों से काफी प्रभावित थे। समाजसेवी विनय कुमार सिंह ने कहा कि सरदार भगत सिंह को केवल एक क्रान्तिकारी के रूप में नहीं अपितु गहन अध्ययनशील दार्शनिक के रूप में देखा जाना चाहिए और उनके क्रान्ति के विचारों को नयी पीढ़ी को आत्मसात करना चाहिए। इस अवसर पर वरिष्ठ कांगेस नेता षैलेन्द्र सिंह, समाजसेवी विनय कुमार सिंह, जमील उर रहमान, मृत्युंजय षर्मा, सत्यवान वर्मा, पाटेष्वरी प्रसाद, साकेत मौर्या, रंजय षर्मा, मनीष सिंह, अनिल यादव, पी.के सिंह आदि लोगों ने शहीद भगत सिंह को नमन किया।

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