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युद्ध विराम के लिए एक साथ आये अमेरिका और अरब देश

America and Arab countries came together for ceasefire

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सिटीजन वॉइस आपसे वादा करता है आपको निष्पक्ष होकर सबसे पहले सही जानकारी प्रदान की जाएगी।

IRAN : अमेरिका और अरब के कुछ देश ईरान के साथ इजरायल से युद्ध विराम के लिए बातचीत कर रहे हैं। मंगलवार को एक इजरायली टेलीविजन चैनल-12 ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस गुप्त रूप से चल रही इस वार्ता का उद्देश्य गाजा, लबनान समेत सभी मोर्चों पर लड़ाई को रोकना है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि फिलहाल इजरायल इस पहल में शामिल नहीं है लेकिन वरिष्ठ इजरायली अधिकारियों को इस बारे में जानकारी दे दी गई है।रिपोर्ट के मुताबिक, यह स्पष्ट नहीं है कि गाजा पट्टी में युद्ध रोकने के लिए किस तरह की शर्तों पर बातचीत हो रही है क्योंकि यह बाकी मोर्चों की तुलना में अधिक जटिल है।

इसकी वजह बंधकों की रिहाई के बाद भी इजरायल की लड़ाई जारी रखने के संकेत और किसी भी डील में इजरायल की गाजा से वापसी की हमास की शर्त है।यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब हिजबुल्लाह ने लेबनान में युद्ध विराम की शर्त के रूप में गाजा में युद्ध विराम की अपनी मांग को छोड़ने के संकेत दिए हैं। हिजबुल्लाह के डिप्टी लीडर नईम कासिम ने मंगलवार को एक टेलीविजन भाषण में कहा कि वे लेबनानी संसद के अध्यक्ष नबीह बेरी की कोशिश का समर्थन करते हैं, ताकि बिना किसी शर्त के युद्धविराम सुनिश्चित किया जा सके।टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल ने अभी तक अमेरिका को यह नहीं बताया है कि पहल पर उसका क्या रुख है। एक वरिष्ठ इजरायली अधिकारी ने कहा है, ‘हम वर्तमान में बेहतर स्थिति में हैं, ऐसे में युद्ध विराम हमारी शर्तों पर होगा। हम लिटानी नदी से हिजबुल्लाह की वापसी और सीमा के पास के क्षेत्रों से हिजबुल्लाह की साइटों को खत्म करने की शर्त रखेंगे।’

 

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कार्नेगी मिडिल ईस्ट सेंटर के एक्सपर्ट मोहनद हेज अली ने कहा कि फिलहाल इजरायल हिजबुल्लाह पर सैन्य रूप से दबाव बढ़ाकर ऊपरी हाथ हासिल करने में सक्षम है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि युद्ध विराम के लिए हिजबुल्लाह का आह्वान दिखाता है कि वह पीछे हट गया है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा है कि एक साल तक दुनिया इस युद्ध विराम की मांग करती रही, हिजबुल्लाह ने इस पर सहमत होने से इनकार कर दिया। हिजबुल्लाह ने अब अपना सुर बदल लिया है। उन्होंने कहा कि हम इस संघर्ष का एक कूटनीतिक समाधान चाहते हैं।

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