लखनऊ : जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा ने अब दूसरा दांव खेलने की पूरी तैयारी कर ली है। भाजपा ने पहले ही 17 जिलों में अपने अध्यक्ष निर्विरोध चुने जाने का रास्ता साफ कर दिया है। अब दूसरी रणनीति यह है कि ज्यादा से ज्यादा प्रतिद्वंद्वियों के नामांकन वापस करा दिए जाएं। इसके लिए जोड़-तोड़ शुरू कर दी गई है। बसपा समर्थित सदस्य खास तौर पर इसमें उसकी मदद कर रहे हैं। इस चुनाव को भाजपा ने वर्चस्व की लड़ाई बना लिया है। पंचायत चुनाव में सपा समर्थित 747 प्रत्याशी जिपं सदस्य का चुनाव जीते हैं और भाजपा के 666। वहीं, बसपा के 322 सदस्य चुनाव जीते। 3050 सदस्यों के इस चुनाव में बड़ी संख्या में निर्दलीय विजयी रहे। भाजपा ने इसकी भरपाई जिपं अध्यक्ष चुनाव में पूरी करने के लिए कमर कस ली है।
पहले 50 से ज्यादा जिलों में अध्यक्ष जीतने का लक्ष्य था। पर, नामांकन वाले दिन मेरठ, मुरादाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर जैसी कठिन सीटों पर अपनी जीत तय कर भाजपाई रणनीतिकारों का उत्साह बहुत ऊंचा हो गया है। 29 जून को नाम वापसी वाले दिन प्रतिद्वंद्वियों के नामांकन पत्रों को वापस कराने की मुहिम शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि कई जिलों में दूसरे प्रत्याशियों को नाम वापसी के लिए तैयार किया जाएगा। उसके लिए उन्हें पूरा समीकरण समझाया जाएगा। भाजपाई लगभग एक दर्जन सपा उम्मीदवारों के संपर्क में हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए प्रतिद्वंदियों के नामांकन वापसी की रणनीति पर काम कर रही भाजपा प्रतिद्वंदियों को बताएगी कि बसपा के सहारे उनकी नैया पार होने वाली नहीं है। जीत का आंकड़ा भाजपा के पास है। इसकी जिम्मेदारी प्रभारी मंत्रियों के अलावा जिलों से जुड़े मंत्रियों को दी गई है।