प्रयागराज: लालापुर थाना क्षेत्र के नौड़िया घाट पर शासन की सख्ती और रोक के बावजूद भी यमुना नदी के बीचों बीच पानी में नाव लगाकर अवैध रूप से बालू की निकासी की जा रही है। जब कि 15 जून 2023 को नौड़िया घाट का पट्टा समाप्त हो गया है। उसके बाद भी अवैध खनन व परिवहन धड़ल्ले से किया जा रहा है। नौड़िया घाट पर पट्टे की अवधि पूरी होने के बावजूद भी लगभग 2 किलोमीटर तक अवैध खनन व परिवहन किया जा रहा है।
यही अवैध खनन के चलते 29 मई 2022 को नौढ़िया घाट पर पूर्व प्रधान कल्लू द्विवेदी की नतिनी श्रेया व जागृति यमुना में स्नान करने गयी थी। अवैध खनन के चलते यमुना नदी को इतना गहरा कर दिये है कि जैसे ही स्नान करने के लिए यमुना में घुसती है। गहरा पानी होने के कारण डूब गई थी।एक महीने के अन्दर तीन घटनाएं घट चुकी है। यह सब अवैध खनन की देन है। जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की छवि धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश सरकार व सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार सख्त आदेश दे रहे हैं कि अवैध खनन व परिवहन नहीं होना चाहिए। लेकिन सरकार के आदेश को मातहत अधिकारी नजर अंदाज करते दिखाई दे रहे हैं। अवैध खनन व परिवहन बेधड़क जारी हैं । अवैध कारोबार रोकने के लिए शासन स्तर पर जिले से लेकर तहसील व थाना पर डटे अफसरों का ध्यान इन घाटों पर अवैध खनन रोकने के बजाय नजरअंदाज कर रहे हैं। खनन माफियाओं का हौसला बुलंद होकर दिन दुगुना चार चौगुना होता चला आ रहा है। लेकिन खनन माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं होने से अवैध कारोबार पर लगाम नहीं लग रहा है । लालापुर थाना क्षेत्र के यमुना नदी में इन दिनों शासन की नियमावली व मानक को ताक पर रखकर अवैध घाटों का संचालन किया जा रहा है। खनन विभाग व उच्च अधिकारियों एवं स्थानीय पुलिस द्वारा आज तक इन क्षेत्रों में न तो जांच किया गया न कोई कार्रवाई की गई। थाना क्षेत्र में इस समय पहले से और ज्यादा जगहों में तेजी से अवैध खनन शुरू हो गया है। शासन प्रशासन इसे देखकर भी नजरअंदाज किया जा रहा है।सत्यता यह है कि प्रशासन इस मामले में अवैध खनन माफियाओं के आगे नतमस्तक है। केवल कागजी कार्रवाई कर रही है। घाटों पर जाकर कोरम पूरा कर बैरंग वापस चलें जाते हैं। अवैध घाट व अवैध खनन रोकने के लिए पुलिस प्रशासन बिल्कुल लाचार है । यही कारण है कि अवैध खनन माफियाओं का हौसला बुलन्द होता जा रहा है। देखना यह है कि अवैध खनन माफियाओं पर शासन प्रशासन का अंकुश लग पाता है या नहीं?