लखनऊ : जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में रिकॉर्ड जीत के साथ भाजपा ने न सिर्फ विपक्ष पर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल की है बल्कि विपक्ष को दबाव में भी ला दिया है। हालांकि यह चुनाव सीधे जनता से नहीं हुआ है लेकिन इसके नतीजे भाजपा को 2022 की चुनावी रणनीति तैयार करने में मदद जरूर करेंगे। पूरब से पश्चिम तक के चुनाव नतीजों से साफ है कि जनता का मन भाजपा के और योगी आदित्यनाथ के साथ है। चुनाव नतीजों ने विधानसभा चुनाव के मैदान में कूदने जा रही भाजपा में नई ऊर्जा का संचार किया है वहीं सपा को ऑक्सीजन और बसपा को वेंटिलेटर पर ला दिया है। वैसे तो जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति से होता है लेकिन इन नतीजों को जनता का सीधा मत नहीं माना जाता है। यह चुनाव परिणाम मुख्यमंत्री योगी के लिए इसलिए भी बड़ी उपलब्धि है कि क्योंकि बीते दिनों कोरोना की चुनौतियों व अन्य तमाम घटनाओं के चलते सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर थी।
मुख्य विपक्षी दल सपा ही नहीं बल्कि यूपी में राजनीतिक जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी व अन्य छोटे दलों ने भी जिला पंचायत सदस्य के चुनाव नतीजों को विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा को मिलने वाली चुनौती से जोड़ रहे थे। विपक्षी दलों ने यह दावा भी किया था कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के नतीजे सरकार व संगठन की विफलता और जनता के बीच नाराजगी का सबूत होंगे लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष के नतीजों ने विपक्ष के दांवों की हवा निकाल दी। चुनाव नतीजों ने स्पष्ट कर दिया कि विपक्ष को मुकाबला करने के लिए ना सिर्फ राजनीतिक तैयारी की जरुरत है बल्कि जनता के बीच संपर्क और संवाद बनाने की भी आवश्यकता है। विपक्ष को ठोस रणनीति और कार्यक्रमों के साथ जनता के बीच जाना होगा।
भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव जीतने के लिए दो साल पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। जिला पंचायत सदस्य चुनाव के लिए दो साल पहले ही क्षेत्रीय और जिला प्रभारी तैनात कर दिए गए थे। उसके लिए बूथ समितियों को प्रशिक्षण भी दिया गया। पार्टी ने चुनाव में भाई-भतीजवाद और परिवारवाद को दूर करने के लिए किसी भी मंत्री, विधायक या पार्टी पदाधिकारी के परिजन को टिकट नहीं देने के निर्णय को सख्ती से लागू किया। जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में भले ही पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली, लेकिन भाजपा 680 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई। उसके बाद भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 65 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखकर चुनावी रणनीति बनाई। जिला पंचायत सदस्य का चुनाव कम जीतने के बाद भी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए भाजपा के टिकट की दौड़ लगी। एक-एक जिले के लिए स्थानीय जातीय समीकरण के हिसाब से तय की गई भाजपा का रणनीति सफल रही। इसके लिए प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, प्रदेश महामंत्री सुनील बंसल ने पूरे प्रदेश का दो बार दौरा किया।