
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में अभियान चलाकर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का निर्देश दिया
उत्तर प्रदेश : के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में अभियान चलाकर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा तंत्र को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। बीते चार वर्षों में इस क्षेत्र में अनेक प्रयास किये गए हैं, जिनसे आधारभूत संरचना समृद्ध हुई है। निर्माणाधीन सीएचस पीएचसी का कार्य समय से पूरा किया जाए। इसके लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त कर निर्माण कार्य की सतत मॉनीटरिंग कराई जाए। प्रदेश के सभी जनपदों की सीएचसी और पीएचसी में उपकरणों की मरम्मत, क्रियाशीलता, परिसर की रंगाई पुताई, स्वच्छता और मैन पावर की पर्याप्त उपलब्धता के संबंध में इस संबंध विशेष कार्रवाई तेज की जाए। इसके लिए एक विशेष टीम गठित हो, जो इसकी सतत मॉनीटरिंग करे।
बेसिक शिक्षा विभाग में ऑपरेशन कायाकल्प की तर्ज पर स्वास्थ्य और मेडिकल एजुकेशन विभाग में भी अभियान चला कर व्यवस्था सुदृढ़ की जाए। स्वास्थ्य मंत्री के स्तर से भी सभी दलों के जनप्रतिनिधियों से सहयोग का आग्रह किया जाए। आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं सतत जारी रखी जाएं। वो बुधवार को लखनऊ टीम 9 के साथ प्रदेश में कोरोना की स्थिति पर बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में कुल 62,271 एक्टिव कोरोना मरीज हैं। एक्टिव केस में यह कमी अच्छे संकेत देती है। 30 अप्रैल की पीक की स्थिति के सापेक्ष 26 दिन के भीतर मरीजों की संख्या मात्र 20 फीसदी रह गई है। प्रदेश के रिकवरी दर में हर दिन बेहतरी हो रही है। अब यह 95.1% तक पहुंच गया है। विगत 24 घंटों में कोविड संक्रमण के 3,371 केस सामने आए हैं, जबकि इसी अवधि में 10,540 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज भी हुए हैं।
कोविड टेस्टिंग में उत्तर प्रदेश हर दिन एक नया रिकॉर्ड बना रहा है। बीते 24 घंटे में 03 लाख 58 हजार 273 टेस्ट किए गए हैं। इसमें 01 लाख 48 हजार सैम्पल आरटीपीसीआर के लिए जिलों से भेजे गए हैं। एक दिन में इतने टेस्ट, करने वाला एकमात्र राज्य उत्तर प्रदेश है। वर्तमान में टेस्ट पॉजिटिविटी दर मात्र 1 फीसदी रह गई है। ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के संबंध में सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। आज से एसजीपीजीआई के विशेषज्ञ भी इन मरीजों की स्थिति पर सीधी नजर रखेंगे। लखनऊ, मेरठ, गोरखपुर, वाराणसी सहित जहां कहीं भी ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज हो रहा है, एसजीपीजीआई के विशेषज्ञों के सुपरविजन में होगा। स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग सभी अस्पतालों के सतत सम्पर्क में रहें, कहीं भी उपयोगी दवाओं का अभाव न हो।