
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना की जांच फेलूदा तकनीक से शुरू करने की तैयारी है। यह विधि काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की ओर से विकसित की गई है। इसमें 40 मिनट से 1 घंटे के अंदर रिजल्ट मिल जाता है। इस विधि से जांच प्रदेश के दो चिकित्सा संस्थानों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की जाएगी। प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण को इसके निर्देश दिए हैं। संस्थान तय करने के लिए वहां की व्यवस्थाओं के बारे में डीजीएमई चिकित्सा जानकारी जुटा रहे हैं।
प्रदेश में कोरोना के लिए अभी आरटी-पीसीआर, एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट किए जा रहे हैं। अब इसके लिए फेलूदा (एफईएलयूडीए) टेस्ट की भी तैयारी है। शासन की तरफ से कहा गया है इस जांच के लिए नए उपकरण अथवा मैनपावर की जरूरत हो तो तत्काल कार्य योजना बनाकर शासन को भेजें। सूत्रों का कहना है कि इस जांच को राजधानी में केजीएमयू में शुरू किया जा सकता है। जबकि दूसरे संस्थान को लेकर अभी संशय बना हुआ है। इसका किट सीएसआईआर, इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक्स और इंटीग्रेटिव बायोलॉजी की ओर से तैयार किया गया है। इस जांच में 40 मिनट से 1 घंटे के अंदर रिजल्ट मिल जाता है। इसका रिजल्ट 98 फीसदी तक सटीक पाया गया है। अन्य जांच की अपेक्षा इसका खर्च कम बताया गया है। हालांकि इसमें भी मरीजों के सैंपल लेने के बाद आरएनए एक्सट्रैक्शन और एमप्लीफिकेशन आदि की प्रक्रिया पहले की तरह ही होती है। फेलूदा का नाम डायरेक्टर सत्यजीत रे की फिल्म के एक काल्पनिक पात्र पर रखा गया है। इस किट को विकसित करने वाले वैज्ञानिक देबोज्योति चक्रवर्ती और डॉ. सौविक मैती हैं। वे सत्यजीत रे के फैन हैं। इसलिए इसका नाम फेलूदा रखा।