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कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री की कथित फर्जी डिग्री की प्रारंभिक जांच के दिए आदेश

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प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर कथित फर्जी डिग्री के आधार पर पेट्रोल पंप की डीलरशिप लेने और चुनावों के नामांकन के समय कथित झूठा हलफनामा दाखिल करने के आरोपों की जांच के लिए यहां की स्थानीय अदालत ने बुधवार को कैंट थाना को प्रारंभिक जांच कर आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया याचिकाकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी के अधिवक्ता उमा शंकर चतुर्वेदी ने न्‍यूज एजेंसी पीटीआई/भाषा को बताया कि अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह ने कैंट थाना प्रभारी को इस मामले की प्राथमिक जांच रिपोर्ट एक सप्ताह में पेश करने को कहा है, इस मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी

सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी का आरोप है कि केशव प्रसाद मौर्य ने वर्ष 2007 में शहर पश्चिमी विधानसभा चुनाव और इसके बाद के कई चुनावों में नामांकन के समय दाखिल हलफनामा में हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा जारी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों का उल्लेख किया और इन्हीं कागजातों के आधार पर इंडियन आयल से पेट्रोल पंप हासिल किया सामाजिक कार्यकर्ता ने यह आरोप भी लगाया है कि आरटीआई के तहत इंडियन ऑयल से प्राप्त केशव प्रसाद मौर्य की स्नातक की डिग्री की प्रति में द्वितीय वर्ष का रोल नंबर किसी मंजू सिंह के नाम दर्ज है, जबकि तृतीय वर्ष का रोल नंबर केशव प्रसाद मौर्य के नाम पर है त्रिपाठी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी, 2012 में दिए एक निर्णय में हिंदी साहित्य सम्मेलन की डिग्रियों को अमान्य घोषित कर दिया था. इस तरह से केशव प्रसाद मौर्य को अपने हलफनामे में इन डिग्रियों का उल्लेख नहीं करना चाहिए था

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