
लखनऊ : स्थानीय विकासखंड क्षेत्र के अंतर्गत गांवों में ग्राम स्वराज का सपना फिलहाल पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। ग्राम स्वराज के लिए जरूरी ग्राम सचिवालयों की स्थिति काफी खराब है। ज्यादातर गांवों में पंचायत भवनों का उपयोग पंचायतों के लिए नहीं हो रहा है। कहीं ग्रामीण अवैध कब्जा कर रह रहे हैं, तो कहीं कंडा पाथा जा रहा है, तो कहीं पशुओं का तबेला बने हैं।
ऐसा ही नज़ारा इटौंजा क्षेत्र के बरगदी कला गांव के पंचायत भवन में देखने को मिला।जहां पर गांव के ही दबंग का पंचायत भवन परिसर में ट्रैक्टर ट्राली खड़ा किये हुए है। इससे पंचायत घर में बैठकर पंचायत के कार्य निपटाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
बता दें कि ग्राम स्वराज का सपना देखे भले ही कई दशक बीत गये हो, लेकिन यह सपना अभी तक पूरा नहीं हो सका है। मौजूदा समय में हालत यह है, कि न तो हर गांवों में पंचायत सचिव हैं और न ही सचिवालय। और जहां पर हैं भी तो वहां पर पंचायतों की बैठक कागजों में हो जाती है। जो भवन बने भी हैं,वह जर्जर हो गए हैं। तो कईयों पर अवैध कब्जा है। विकास क्षेत्र बीकेटी के इटौंजा क्षेत्र को ही लें।
यहां के अधिकांश पंचायत भवनों पर ग्रामीणों का कब्जा है। गांव पंचायत बरगदी कला का पंचायत भवन बानगी भर है। इस पर गांव के ही लोगों ने कब्जा कर लिया है। ट्रैक्टर ट्राली खड़ा करने, कंडा पाथने के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।जबकि कई ग्राम पंचायतों में तो प्रयोग न किये जाने से भवन ही ध्वस्त हो रहे हैं। इन पंचायत भवनों का प्रयोग में लाया ही नहीं गया।
और कभी भी यहां न तो बैठकें हुईं और न ही बैठने की कोई व्यवस्था की गई। रायपुर राजा, दुघरा, देवरी रुखारा,सिंहामऊ आदि सहित अन्य कई गांवों में बने ग्राम सचिवालय अधूरे पड़े है, जबकि कागजों में निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। संबंधित विभाग के अधिकारी सिर्फ इतना कहकर चुप हो जाते हैं कि गांव पंचायत भवन में बैठक होती है।