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मिर्ज़ा मोहम्मद अतहर और मिर्ज़ा मोहम्मद अशफ़ाक़ की देसे की मजलिस सम्पन हुई।

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नम आंखों से सोगवारो ने पुरसा दिया।

लखनऊ : खतीब ए अकबर मरहूम मौलाना मिर्ज़ा मोहम्मद अतहर, और उनके छोटे भाई खतीब उल इरफ़ान मरहूम मौलाना मिर्ज़ा मोहम्मद अशफ़ाक़ की बरसी की मजलिस हज़ारों अज़ादारो दानिश वर उलमाओं की मौजूदगी में  इमामबाड़ा आसिफ़ उद दौला बहादुर (बड़ा इमामबाड़ा) में सम्पन्न हुई।जिसमें मौलाना के हज़ारों चाहने वाले शरीक हुए।मजलिस का आगाज़ तिलावते कलाम पाक से हुआ।उसके बाद शोरए किराम ने मरहूम मौलाना अतहर और मौलाना अशफ़ाक़ को खिराजे अक़ीदत पेश की।

उसके बाद ईरान क़ुम से आये हुए मौलाना आयत उल्ला सैय्यद मुंतजिर मेहदी रिज़वी ने मजलिस को इल्मऔर इबादत के मौज़ू पर ख़िताब किया।मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना ने कहा कि ज़कात ,ख़ुम्स, और सदक़ा देना इबादत है।

मौलाना ने कहा असल इबादत ,इबादते परवर दिगार है।

मौला अली के फ़ज़ाएल बयान करते हुए उन्होंने कहा कि मौला ए कायनात एक शब में एक हज़ार रकत नमाज़ अदा किया करते थे।लेकिन हुक्म पैग़म्बर हुआ तो रसूल के बिस्तर पर लेट गए यह भी मौला अली की इबादत थी।आखिर में मौलाना ने सय्यद उस शोहदा के मसाएब पर मजलिस को खत्म किया।

एक दिवसीय फ़ोटो प्रदर्शनी लगाई गयी।

बड़े इमामबाड़े के ग्राउंड में मौलाना मिर्ज़ा अतहर और उनके छोटे भाई मौलाना अशफ़ाक़ की बरसी पर उनकी याद में एस.एन.लाल की जानिब से एक दिवसीय प्रदर्शनी लगाई गई।जिसमें मौलाना अशफ़ाक़ और मौलाना अतहर के ज़रिये किये गए अहम कामों को दर्शया गया।इस सिलसिले में एस. एन.लाल ने बताया कि मौलाना मिर्ज़ा मोहम्मद अतहर के इन्तिक़ाल के बाद उनके चेहलुम की मजलिस में पहली बार प्रदर्शनी लगाई थी ये प्रदर्शनी एस एन लाल और आज़म हुसैन द्वारा लगाई गई

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