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डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया ने उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से लॉन्च किया डायरिया नेट जीरो

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ब्रजेश पाठक उपमुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और श्री रवि भटनागर, डायरेक्टर एक्सटर्नल अफेयर्स एंड पार्टनरशिप रेकिट साउथ एशिया ने डायरिया नेट जीरो लॉन्च किया

अपनी तरह के इस अनूठे कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में डायरिया से होने वाली कुल मौतों को रोकना है।

तीन वर्षों में 10 मिलियन लोगों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए प्रतिबद्ध

लखनऊ : दुनिया की अग्रणी कंज्यूमर हेल्थ एवं हाईजीन कंपनी रेकिट ने अपने प्रमुख कैम्पेन डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया के तहत आज लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार की मदद से डायरिया नेट जीरो लॉन्च किया। अगले 3 वर्षों में यह कार्यक्रम पूरे उत्तर प्रदेश में डायरिया के 26% मरीजों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सीधे 10 मिलियन लोगों को प्रभावित करेगा। डायरिया नेट जीरो को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और रवि भटनागर, डायरेक्टर, एक्सटर्नल अफेयर्स एंड पार्टनरशिप रेकिट साउथ एशिया सहित विभिन्न गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में लॉन्च किया गया। इसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में डायरिया से होने वाली कुल मौतों को कम करना है। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के 13 जिलों बहराइच, बुलंदशहर, फिरोजाबाद, गाजीपुर, गोरखपुर, जौनपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, मथुरा, मिर्जापुर, मुजफ्फरनगर, श्रावस्ती और सीतापुर में शुरू किया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत डायरिया की रोकथाम और उपचार के लिए डब्ल्यूएचओ की 7-सूत्रीय योजना का पालन किया जाएगा। आगे चलकर इस पहल को उत्तर प्रदेश के 75 जिलों तक ले जाया जाएगा।

गौरव जैन सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, रेकिट साउथ एशिया ने कहा उत्तर प्रदेश अपनी अर्थव्यवस्था और अपने लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए अभूतपूर्व प्रयास कर रहा है। हमें अपने कार्यक्रमों के साथ स्वच्छ और स्वस्थ भारत बनाने की दिशा में राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करते हुए बहुत खुश हैं। पिछले 7 वर्षों में हमने उत्तर प्रदेश में 1 करोड़ से अधिक बच्चों के जीवन को बेहतर बनाया है। इस रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए हमने उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से भारत का पहला डायरिया नेट जीरो कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के साथ हमारा दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करना है कि उत्तर प्रदेश में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डायरिया से मृत्यु के मामले शून्य हों।

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