
अगर आप भारतीय छात्र हैं और विदेश में पढ़ाई करने की योजना बना रहे हैं, तो पाकिस्तान को अपनी लिस्ट से बाहर रखिएगा। दरअसल, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन यानी UGC और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन यानी AICTE ने अपनी नई एडवायजरी में भारतीय छात्रों को हायर एजुकेशन के लिए पाकिस्तान न जाने की सलाह दी है।इस एडवायजरी के मुताबिक, पाकिस्तान से हासिल कोई भी डिग्री भारत में मान्य नहीं होगी और न ही इस डिग्री को भारत में नौकरी पाने के लिए योग्य माना जाएगा। पिछले ही महीने सरकार ने चीन से हायर एजुकेशन हासिल करने वालों को भी सावधान किया था।
दरअसल, चीन के कोरोना प्रतिबंधों की वजह से हजारों की संख्या में भारतीय छात्र चीन वापसी नहीं कर पा रहे हैं और उनकी पढ़ाई अधर में लटकी हुई है। साथ ही हाल ही में रूस के साथ युद्ध की वजह से भी हजारों की संख्या में देश लौटने वाले भारतीय छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। सरकार के इस फैसले को इन्हीं वजहों से जोड़कर देखा जा रहा है। 2020 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया यानी MCI ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के छात्रों को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी PoK से मेडिकल कोर्स नहीं करने को लेकर सावधान किया था। MCI ने अपनी एडवायजरी में कहा था कि वैसे तो जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र भारत का हिस्सा है, लेकिन PoK में स्थित संस्थानों को इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 के तहत मान्यता नहीं प्राप्त है, ऐसे में वहां से हासिल डिग्रियां भारत में मान्य नहीं हैं।
पाक में कश्मीरी स्टूडेंट के एडमिशन के पीछे का खेल पाकिस्तान में पढ़ाई के लिए ज्यादातर जम्मू-कश्मीर के छात्र ही जाते हैं। पाकिस्तान ने इसका भी इस्तेमाल अपना एजेंडा चलाने में किया है। 2020 में पाकिस्तान ने अपने यहां के कॉलेजों में कश्मीरी छात्रों के लिए 1600 स्कॉलरशिप ऑफर की थी। तब सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान में भारतीय छात्रों को आसानी से कट्टरपंथी बनाए जाने की आशंका जताई थी। PoK के कॉलेजों में कश्मीरी छात्रों के लिए 6% आरक्षण के साथ ही पाकिस्तानी कॉलेजों में भी कुछ सीटें आरक्षित हैं।पाकिस्तान में पढ़ाई और आतंक का कनेक्शन पिछले साल दिसंबर में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कश्मीर में पाकिस्तान में एडमिशन के नाम पर अलगाववादियों द्वारा चलाए जा रहे एक रैकेट का भांडाफोड़ किया था।