नई दिल्ली : ग्वालियर स्थित होटल रैडिसन में आयोजित सीएमई प्रोग्राम में कई राज्यों के लगभग 80 ऑर्थोपेडिक सर्जनों ने हिस्सा लिया। इसका मकसद विशेष क्षेत्रों के डॉक्टरों को प्रशिक्षित करना और उनकी प्रैक्टिस के बारे में सभी आशंकाओं और चिंताओं को दूर करना था। ऑर्थोपेडिक सोसायटी ने सतत चिकित्सा शिक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया, जिसमें न्यूनतम कट वाली स्पाइन सर्जरी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रक्रियाओं से लेकर कई अन्य प्रमुख चिकित्सा क्षेत्रों का जिक्र किया गया।
गुरुग्राम स्थित गुरूग्राम स्थित आर्टेमिस हॉस्पिटल के स्पाइन न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. एसके राजन ने लोगों को संबोधित किया और उन टेक्नोलॉजी और सिस्टमों की तरक्की पर जोर दिया जिनसे स्पाइन सर्जरी में न सिर्फ क्रांति आई बल्कि, यह 99 फीसदी तक सुरक्षित भी हो गई। इस मौके पर डॉ. राजन ने वीडियो और केस स्टडीज के जरिये दिखाया कि कैसे डिजिनैव, 3डी स्पाइन सर्जरी, इंट्रा ऑपरेटिव न्यूरोमॉनिटरिंग के साथ मिनिमल एक्सेस टेक्नोलॉजी की मदद से डिजिटल स्पाइन ओटी ने स्पाइन सर्जरी के इलाज तथा परिणामों में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान हुई व्यापक तरक्की ने स्पाइन सर्जरी को न्यूनतम शल्यक्रिया के साथ तेज रिकवरी और कम परेशानियों वाली सुरक्षित और प्रभावी सर्जरी बना दिया है। इस कार्यक्रम के बाद प्रतिनिधियों ने अपने समक्ष आने वाली चुनौतियों और संभावित समाधानों को लेकर बहुत ही जीवंत और महत्वपूर्ण चर्चा की। इसका आयोजन डॉ. सुनील अग्रवाल, अध्यक्ष एवं डॉ. पुखराज गौड़, एसोसिएशन के सचिव ने किया जबकि इसकी अध्यक्षता डॉ. दिनेश उदयनिया, डॉ. संतोष त्रिपाठी के प्रतिष्ठित पैनल ने की और डॉ. रवि गोयल, डॉ. समीर गुप्ता, डीन, सरकारी मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर इसके मुख्य अतिथि थे।
उन्होंने स्पाइन सर्जरी में डॉ. राजन की उपलब्धियों के लिए उन्हें सम्मानित किया और उनके गहरे अनुभव के बारे में ग्वालियर के डॉक्टरों को बताया। सीएमई प्रोग्राम के बारे में शामिल हुए लोग विभिन्न विभागों के जाने-माने स्वास्थ्य प्रोफेशनल थे। इसमें नई टेक्नोलॉजी, इसके लाभ और इसकी सीमाओं के बारे में लोगों को बताया गया और साथ ही इन क्षेत्रों में उनकी विशेषज्ञताओं को अपग्रेड किया गया जो उन्हें आगामी क्लिनिकल प्रैक्टिस में प्रभावी रूप से लागू किया जा सकता है।