जनपद नोडल अधिकारी अक्षय त्रिपाठी, आईएएस ने जनपद भ्रमण के दौरान बुधवार को देर शाम कलेक्ट्रेट सभागार में जिले के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए निर्देश दिया
बहराइच: जिले में संचालित गोआश्रय स्थलों की व्यवस्थाओं के पर्यवेक्षण एवं अनुश्रवण हेतु शासन द्वारा नामित नोडल अधिकारी विशेष सचिव आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स जनपद नोडल अधिकारी अक्षय त्रिपाठी, आईएएस ने जनपद भ्रमण के दौरान बुधवार को देर शाम कलेक्ट्रेट सभागार में जिले के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए निर्देश दिया कि जिले के गोआश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित गोवंशों को शासन की मंशानुरूप सभी सुविधाएं प्रदान की जाएं। नोडल अधिकारी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित गोआश्रय स्थलों की व्यवस्थाएं अच्छी पाई गई हैं। इस स्थिति को बनाएं रखें नैपियर घास की भांति अन्य नवाचार के माध्यम से गोशालाओं की व्यवस्थाओं को बेहतर से और बेहतर करने का प्रयास करें।
नोडल अधिकारी ने जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र से अपेक्षा की कि गोआश्रय स्थलों के संचालन के लिए पशुपालन विभाग के साथ-साथ ग्राम पंचायत व विभागों को भी जिम्मेदारी सौंपी जाए। श्री त्रिपाठी ने कहा कि ऐसी कार्ययोजना बनाएं गोआश्रय स्थल ग्राम पंचायतों की आय का भी साधन बने। इसके लिए जैविक खाद, कण्डों और उपलों के प्रयोग के लिए भी लोगों को जागरूक किया जाय। इस कार्य में महिला स्वयं सहायता समूहों से अपेक्षित सहयोग प्राप्त किया जाय।
नोडल अधिकारी श्री त्रिपाठी ने यह भी सुझाव दिया कि वृद्ध, बीमार व दुर्बल गोवंशों को स्वस्थ गोवंशों से अलग रखने की व्यवस्था गोशाला में ही की जाय।
बैठक के दौरान डीएम डॉ. दिनेश चन्द्र ने बताया कि वर्तमान समय में जिले की 04 वृहद गो संरक्षण केन्द्रों में 1152, ग्रामीण क्षेत्रों के 88 अस्थायी गो आश्रय स्थलों में 12017 व शहरी क्षेत्र की 04 अस्थायी गो आश्रय स्थलों में 212, 02 कान्हा गो आश्रय स्थलों में 116, 18 कांजी हाउसों में 524 इस प्रकार 115 स्थलों पर 14021 निराश्रित गोवंशों को संरक्षित किया गया है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र की 05 पंजीकृत गोशाला में 998 व 02 अपंजीकृत गोशालों में 660 तथा शहरी क्षेत्र की 01 अपंजीकृत गोशाला में 111 गोवंश भी संरक्षित है। डीएम डॉ. चन्द्र ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत अब तक कुल 2836 गोवंश आमजन की सुपुर्दगी में दिये गये हैं।
डीएम डॉ. चन्द्र ने बताया कि जिले में अवस्थित गोवंशों में शासल की मंशानुरूप भूसा तथा चारे के माकूल बन्दोबस्त किये जा रहे हैं। डीएम ने कहा कि जनपद की गोशालाओं में वर्ष भर हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उपलब्ध भू-भाग पर नैपियर घास की बुआई की गई है। डॉ. चन्द्र ने यह भी बताया कि चरागाह की भूमि पर भी नैपियर घास की बुआई कराई गई है। डीएम ने आश्वस्त किया गोवंशों के बेहतर देखभाल के लिए प्राप्त हुए सुझावों को धरातल पर क्रियान्वित कराया जाएगा। बैठक के अन्त में डीएम ने नोडल् अधिकारी को अंगवस्त्र व ओडीओपी अन्तर्गत गेहूॅ के डण्ठल से बनी गणेष जी कलाकृति भेंट की। इस अवसर पर उप जिलाधिकारी सदर सुभाष सिंह, कैसरगंज महेश कुमार कैथल, महसी राकेश कुमार मौर्या, जिला विकास अधिकारी प्रभारी सीडीओ महेन्द्र कुमार पाण्डेय, पीडीडीआरडीए पी.एन. यादव, उप निदेशक कृषि टी.पी. शाही, सीवीओ डॉ राजेन्द्र प्रसाद सहित खण्ड विकास अधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी तथा अन्य सम्बन्धित मौजूद रहे।