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घबराएं नहीं, नियमित दवा लें,  दूर होगी टी.बी.- जिला क्षय रोग अधिकारी

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 कन्नौज : अगर कोई व्यक्ति टीबी  से ग्रसित है, तो घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसका समुचित और समय पर इलाज कराने की आवश्यकता है। आज के समय में यह बीमारी  लाइलाज नहीं रही । इसकी जांच, इलाज और दवा सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर  बिल्कुल नि:शुल्क उपलब्ध है।यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डा.जे.जे.राम का | जिला क्षय रोग अधिकारी बताते हैं  कि अगर आपको लगातार दो हफ़्तों से खांसी आ रही है, भूख नहीं लग रही और आपका वजन भी लगातार कम हो रहा है, तो आपको तुरंत किसी डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि यह लक्षण टीबी (क्षय रोग) के हो सकते हैं और संभव है कि आप इस बीमारी की गिरफ्त में हों। उन्होंने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो बीमार व्यक्ति से सेहतमंद लोगों में भी फैल सकती है। अब भले ही लाइलाज न हो लेकिन अब  भी लोग जागरुकता के अभाव में इस बीमारी को छिपाते हैं। सरकार की ओर से टीबी पीड़ितों की जांच व उनका इलाज नि:शुल्क होता है | इसके साथ ही  इलाज चलने तक निक्षय पोर्टल के माध्यम से  मरीजों को 500 रूपये प्रति माह पोषण राशि भी दी जाती है ।

अभियान के दौरान मिले 58 मरीज

जिला समन्वयक रंजीत सिंह ने बताया कि साल की शुरुआत में दो से 12 जनवरी 2021 के मध्य चलाये  गए सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान के दौरान कुल 995 संभावित  लोगों के बलगम की जांच की गई।  इनमें से 58 लोग टीबी से ग्रसित पाए गए हैं। इन सभी का इलाज शुरू कर दिया गया है। जिले में वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2020 में टीबी के मरीजों की संख्या में कमी आई है। वर्ष 2019 में जिले में टीबी के कुल 3124 मरीज थे, जोकि वर्ष 2020 में घटकर 1765 रह गए हैं ।

क्या बरतें सावधानी 

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें, वह भी नियमित तौर पर। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करे। आमतौर पर बीमारी खत्म होने के लक्षण दिखने पर मरीज को लगता है कि वह ठीक हो गया है और इलाज रोक देता है। ऐसा बिलकुल न करें। इससे दवा के प्रति रेजिस्टेंट पैदा हो सकता है और बीमारी बढ़ भी सकती है तथा दूसरों में भी टीबी फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

 

  • मरीज खूब पौष्टिक खाना खाए, 
  • एक्सरसाइज व योग करे
  • बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करे।
  • मास्क पहनकर रखें। मास्क नहीं है तो हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर कर लें। इस नैपकिन को ढक्कन वाले डस्टबिन में डालें। बाद में इन नैपकिन को जला दें।

10 से 24 मार्च तक पहली बार घर-घर ढूंढे जा रहे टीबी के मरीजवर्ष 2025 तक टीबी मुक्त

भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए इसे दस्तक अभियान का भी हिस्सा बनाया गया है। पहली बार दस्तक अभियान के दौरान घर-घर टीबी मरीज ढूंढे जा रहें है। यह अभियान 10 मार्च यानि  बुधवार से शुरू हो गया है और 24 मार्च तक चलेगा। अभियान के दौरान घर घर दस्तक देकर लक्षणों के आधार पर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संभावित टीबी रोगियों का पता लगा रहीं हैं  ।

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