लखनऊ के रीजेंसी सुपरस्पेसिशलिटी हॉस्पिटल के डाक्टरों ने मरीजों से हेपेटाइटिस की बीमारी को नज़रंदाज़ न करने का आग्रह किया
लखनऊ : विश्व हेपेटाइटिस दिवस के उपलक्ष्य में रीजेंसी सुपरस्पेशलटी हॉस्पिटल, लखनऊ ने एक कांफ्रेंस का आयोजन किया जिसमें वहां के डॉक्टरों ने सभी लोगो के लिए सन्देश दिया कि लोग अपने लिवर सम्बंधित बीमारियो को नज़र अंदाज़ न करे क्यों की फिर वो बीमारी हेपेटाइटिस का रूप ले सकती है जो की एक जानलेवा बीमारी है। इस वर्ष हेपेटाइटिस दिवस का थीम भी यही है कि हेपेटाइटिस कैन नॉट वेट, यानि कि हेपेटाइटिस जैसी बीमारी होने पर मरीजों को जल्द से जल्द इलाज करवाना चाहिए क्यों की डबलू एच ओ , के अनुसार विश्व में हर 30 सेकण्ड्स में हेपेटाइटिस से एक व्यक्ति की जान जाती है। हेपेटाइटिस मतलब है लिवर में सूजन, जो जिगर की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देता है और आमतौर पर हेपेटाइटिस वायरस ए, बी, सी, डी और ई के कारण होता है। हालांकि, हेपेटाइटिस ऑटोइम्यून बीमारियों, दवाओं के अनुचित सेवन और शराब के सेवन और हानिकारक विषाक्त पदार्थों के सेवन से भी होता है। वायरल कारणों में हेपेटाइटिस ए, बी और सी सबसे आम हैं।
रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटलए लखनऊ के डाक्टर प्रवीण झा , डीएम , पेट एवं लिवर रोग विशेषज्ञ ने कहा, वे दिन गए जब लीवर की बीमारियां केवल शराब के सेवन से जुड़ी थीं, अब जीवनशैली में बदलाव और मोटापे की बढ़ती घटनाओं और मधुमेह जैसे रोगों के कारण हेपेटाइटिस बढ़ रहा है। हेपेटाइटिस संक्रमण के बढ़ने के साथ, इसके बारे में जागरूकता पैदा करना समय की मांग है। अधिकांश समय हेपेटाइटिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है जब तक कि जब तक की आपको कोई नुकसान न हो जाये। वायरल हेपेटाइटिस से पीड़ित 90% लोगों को पता नहीं होता कि उन्हें यह बीमारी है। जिस दर से हेपेटाइटिस बढ़ रहा हैए उसे देखते हुए सभी के लिए यह सबसे अच्छा है कि वे इस स्थिति, इसके लक्षणों और रोकथाम के तरीकों से अवगत हों।
हेपेटाइटिस के लक्षणों में बुखार, थकान, भूख न लगना जी मिचलाना, उल्टी, पेट में दर्द, गहरे रंग का पेशाब, हल्के रंग का मल, जोड़ों में दर्द और पीलिया शामिल हैं। यदि आप शराब का सेवन और धूम्रपान करते हैंए तो आपको अल्कोहलिक हेपेटाइटिस हो सकता है, आपको पेट में दर्द, सूजन, पेट में तरल पदार्थए मतली या उल्टीए भूख न लगना, वजन घटना, या पीली त्वचा और आंखों का अनुभव हो सकता है। इस स्तिथि में लगातार शराब पीने से अतिरिक्त स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे सिरोसिस, अत्यधिक रक्तस्राव।
डॉ प्रवीण झा ने अंत में सभी से आग्रह करते हुए कहा कि अपने चिकित्सक से परामर्श करें और हर छह महीने मं अपने जिगर की जांच करवाएं, विशेष रूप से वे लोग जो जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे मधुमेह, मोटापा आदि से पीड़ित हैं। हेपेटाइटिस ए और बी के विकास को रोकने के लिए टीकाकरण उपलब्ध हैं इसलिए लोगों को इसके लिए टीकाकरण अवश्य करवाना चाहिए। स्वच्छता रखना हेपेटाइटिस से बचने का एक महत्वपूर्ण तरीका है, कच्चा भोजन खाने से बचें। सुई, रेजर, टूथब्रश आदि किसी से शेयर न करें। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और सी वाले लोगों को शराब से बचने के लिए प्रोत्साहित करे क्योंकि यह जिगर की बीमारी और विफलता को तेज कर सकता है। यदि आपको क्रोनिक हेपेटाइटिस बी या सी है, तो कोई भी नई दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें।