मध्य पूर्व में जियो-पॉलिटिकल टेंशन बढ़ता है तो क्या भारत को तेल संकट का सामना करना पड़ेगा?
भारत के पास 12 दिनों के खर्च के लिए पर्याप्त तेल भंडार है, रिफाइनरियों में अतिरिक्त आपूर्ति के साथ जो देश को लगभग 18 दिनों तक बनाए रख सकती है। हालांकि, इजरायल और ईरान एक-दूसरे पर हमले करके भी बहुत सतर्कता बरत रहे हैं। ऐसे में लगता नहीं है कि तेल संकट पैदा होने जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। ये कहना है देश के पूर्व विदेश सचिव और इजरायल में राजदूत रहे रंजन मथाई का। उन्होंने कहा कि हॉर्मुज जलडमरूमध्य में 30 दिनों से अधिक समय तक किसी भी तरह की गड़बड़ी का वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारतीय बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन ईरान के खिलाफ जंग में इजराइल की रणनीति बदल रही है। पहले वे दुश्मन को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अब वे सीधे टकराव से बचना चाहते हैं
26 अक्टूबर को इजराइल पर ईरान के लगभग 200 बैलिस्टिक मिसाइल हमले के जवाब में, इजराइल ने तेहरान, इलम और खुजेस्तान के पश्चिमी प्रांतों में सैन्य ठिकानों पर सीधे हमले किए थे।
लेकिन, इजराइल ने ईरान के तेल और परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना नहीं बनाया। मथाई ने कहा, ‘हालांकि इजराइल ने यह दिखा दिया कि उसके पास तेहरान के खिलाफ घातक और सटीक हमले करने की क्षमता है, लेकिन ऐसा लगता है कि उसने जानबूझकर ईरान के तेल क्षेत्रों और परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने से परहेज किया क्योंकि इससे युद्ध और बढ़ सकता था और दुनिया भर में तेल की कीमतें बढ़ सकती थीं। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की इजराइल के लक्षित हवाई हमलों पर प्रतिक्रिया भी संयमित थी।’ सोमवार को सिनर्जिया फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित ‘मध्य पूर्व की उलझन: क्या ईरान-इजराइल युद्ध और बढ़ेगा? (द मिडल ईस्ट क्वैगमेयर: विल द ईरान-इजराइल वॉर स्पाइरल फर्दर?)’ विषय पर एक बातचीत के दौरान मथाई ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच युद्ध का भविष्य क्या होगा, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन ऐसा लगता है कि दोनों पक्ष पीछे हटने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन भविष्य में हालात बिगड़े तो? मथाई कहते हैं, ‘इस बात की चिंता है कि अगर युद्ध खाड़ी में फैलता है, तो यह वहां रहने वाले अस्सी लाख प्रवासियों को प्रभावित कर सकता है।