मथुरा। पाला पड़ने से आलू की फसल मंे पांच से दस प्रतिशत तक उत्पादन में गिरावट की आशंका जताई जा रही है। इस बार आलू का रकबा जनपद में करीब 20 हजार हेक्टेयर है। दो हजार हेक्टेयर में पाले से फसल प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। जिला कृषि अधिकारी अश्वनी कुमार सिंह ने बताया कि जनपद में आलू विविध फसल के रूप में आता है। जिसका प्रीमियम पांच प्रतिशत कटता है। किसान बीमा कराए हुए हैं तो नुकसान की भरा पाई की जाएगी। नुकसान की अवधि के 72 घंटे के अंदर टोल फ्री नम्बर पर या किसी कृषि विभाग के किसी कार्यालय पर सूचना दे सकते हैं। लिखित शिकायत दे सकते हैं सर्वे कर क्षतिपूर्ति की जाती है। बलदेव, मांट, राया क्षेत्र में बड़े क्षेत्रफल में आलू की खेती होती है। इस बार 16, 17, 18 जनवरी की सुबह करीब पांच बजे का तापमान एक से दो डिग्री पर पहुंच गया था। जिससे पाला मारने की परिस्थितियां बन गईं। पाला पडने से आलू और सरसों की फसल को नुकसान हैं। इस तरह के मौसम में गेहूं की फसल को कोई हानि नहीं पहुंचती। यह मौसम गेहूं की फसल के मुफीद रहता है। आलू और सरसों में अंतिम रूप से उत्पादन की कमी के रूप में पाले का प्रभाव सामने आता है। उन्होंने बताया कि प्रभावित क्षेत्र में पांच से दस प्रतिशत आलू के उत्पादन में कमी आ सकती है। अगर इसको कैसे रोका जाये इस पर विचार किया जाए तो किसानों को मौसम की जानकारी अब समय से मिल जाती है। यह पता चलने पर कि सुबह का तापमान कम होने वाला है, किसान फसल में हल्की सिंचाई कर दें। साथ ही पराली या अन्य पदार्थ हैं तो उन्हें जला कर हल्की गर्मी का माहौल बनाना चाहिए। इससे उस क्षेत्र या खेता का तापमान न्यूनतम स्तर पर नहीं पहुंचता है।