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मुख्तार अंसारी और बेटो,अब्बास वा उमर पर ,हज़रतगंज कोतवाली में दर्ज होई FIR

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लखनऊ : सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर मकान बनाने के मामले में गुरुवार देर रात जिलाधिकारी के निर्देश पर हजरतगंज कोतवाली में मुख्तार अंसारी, उनके बेटे अब्बास और उमर अंसारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई प्रभारी लेखपाल जियामऊसुरजन लाल की तहरीर पर रिपोर्ट लिखी गई है

आरोप है कि डालीबाग स्थित ज़मीन मोहम्मद वसीम के नाम बतौर माताहतदार दर्ज थी। वसीम के पाकिस्तान चले जाने के बाद जमीन निष्करांत संपति में दर्ज हो गई थी। इसके बाद यह जमीन बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के लक्ष्मी नारायण और कृष्ण कुमार के नाम पर चढ़ गया। छानबीन में पता चला कि संबंधित जमीन की खतौनी भी गायब है। आरोप है कि मुख्तार और उसके बेटे ने यह जानते हुए कि उक्त जमीन सरकारी है अपने रसूख का इस्तेमाल कर फर्जीवाड़े के तहत जमीन अपने नाम करवा ली और नक्शा पास कराकर अवैध निर्माण करा लिया।

जिला प्रशासन की ओर से छानबीन के बाद उक्त जमीन को वापस निष्क्रान्त संपत्ति के तहत दर्ज कराकर दस्तावेज सही करा दिए हैं। आरोपितों के खिलाफ साजिश, धोखाधड़ी और दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा समेत विभिन्न धाराओं में एफआइआर दर्ज की गई है।

सुबह ढहाये गए दो टावर

उधर, लखनऊ के डालीबाग में गुरुवार को तड़के करीब सवा छह बजे से गाटा संख्या 93 पर खड़े मुख्तार अंसारी के दोनो टॉवर ढहा दिए। यह जमीन वास्तविकता में निष्क्रांत संपत्ति है जिस पर फर्जीवाडा कर माफिया ने अपनी इमारत खडी कर दी थी। टॉवर गिराने गई टीम का मुख्तार के गुर्गों ने विरोध किया। हंगामा बढ़ता देख पुलिस ने सख्ती की, जिसके बाद सभी भाग निकले।

खास बात यह है कि टॉवर का नक्शा सरकार के पंसदीदा अफसरों मे शुमार प्रभू एन सिंह के कार्यकाल में पास किया गया था। जिलाधिकारी लखनऊ अभिषेक प्रकाश के मुताबिक वर्ष 1978 में हेरफेर कर सरकारी जमीन अवैध रूप से कृष्ण कुमार के नाम दर्ज करा ली गई थी। इसके बाद यह जमीन पहले मुख्तार अंसारी की मां राबिया और फिर उनके बेटे अब्बास व उमर के नाम दर्ज हो गई। जमीन को लेकर जिला प्रशासन ने कार्यवाई की जिसके बाद सदर तहसील में वाद चला। वाद का निस्तारण करते हुए जिला प्रशासन की ओर से संपत्ति को पुनः निष्क्रिय भूमि के नाम पर दर्ज कर दिया गया। इसी बीच मुख्तार ने गलत तरह से एलडीए से नक्शा पास करवाकर जमीन पर बिल्डिंग का निर्माण करा लिया। 11 अगस्त को जिला प्रशासन की ओर से एलडीए को पत्र लिखकर कार्यवाही करने को कहा गया था। इसके बाद बिल्डिंग के ध्वस्तिकरण की कार्यवाही की गई।

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