राजस्थान : में कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के तकरार ने सरकार के लिए सियासी संकट उत्पन्न कर दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच मतभेद एकबार फिर सबके सामने है। इसबार की स्थिति देख लगता है कि स्थिति को संभालना कांग्रेस के लिए मुश्किल होता जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पायलट गुट में करीब 20 विधायक हैं। अब ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या अगर वह बीजेपी के साथ जाते हैं तो सरकार बनाने में सफलता मिलेगी
200 विधायकों वाली राजस्थान विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायकों की आवश्यक्ता होती है। अशोक गहलोत 125 विधायकों के समर्थन के साथ सरकार चला रहे हैं। इनमें कांग्रेस के 107, सीपीआईएम के दो, भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो, राष्ट्रीय लोक दल के एक और 13 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। वहीं, राजस्थान में बीजेपी के 72 विधायक हैं। साथ ही तीन विधायकों वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी विपक्ष में ही है।
आसानी से सरकार चलाने के लिए BJP कम से कम 30 विधायकों की आवश्यक्ता
कांग्रेस से बागी तेवर अपना चुके सचिन पायलट यदि बीजेपी के साथ सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ते हैं तो उन्हें कम से कम 30 विधायकों को अपने साथ लाना होगा। आपको बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स में 30 विधायक होने का दावा भी किया जा रहा है। इसके बाद भी आसानी से सरकार चलाने के लिए कुछ अन्य विधायकों की भी आवश्यक्ता होगी, क्योंकि पायलट के साथ पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की सदस्यता जाएगी। इसके बाद उपचुनाव के हालात बनेंगे। इसमें अगर पांच विधायक भी चुनाव हारते हैं तो फिर सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे।
20 विधायक साथ आए तो चाहिए होगी निर्दलीय विधायकों और छोटे दलों की मदद
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात भी कही जा रही है कि सचिन पायलट के साथ कांग्रेस के करीब 20 विधायक हैं। ऐसी परिस्थिति में अगर वह बीजेपी के साथ आते हैं तो सरकार बनाने कि लिए निर्दलीय और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायकों के समर्थन की आवश्यक्ता होगी। निर्दलीय विधायकों की मदद से अगर सरकार बनती है तो वह कमजोर होगी।