सिस्टम का खेल न पेशी न मुकदमा न जिरह न बहस बस जेल ही जेल
सिस्टम के खेल के पेंच में फसां जयप्रकाश ,22 वर्षो तक रहा सलाखों के पिछे
चंदौली। अचानक 22 वर्षो से मरा हुआ ब्यक्ति जी उठा। जैसे ही उसके जिवीत होने का अहसास लोगो को हुआ तो उनके खुशी का ठिकाना ही नही रहा। और सिस्टम का दोष यह कि जिस जुर्म में मात्र तीन या चार वर्षो की सजा होती है उस जुर्म में विना ट्रायल के 22 वर्ष सजा काट चुका जयप्रकाश जिसकी पूरी जवानी ही जेल की सलाखों के पिछे चली गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जय प्रकाश जायसवाल पुत्र मुरलीधर जायसवाल जिसे अवैध तरीके से रखे गये ए के 47की 34 जिवीत कारतूसों के जुर्म में 22 वर्षो तक जेल में रखा गया । उस जुर्म में जिसका जुर्म सिध्द होने के बाद भी उसे मात्र तीन या चार वर्ष की ही सजा होती है।
इस तरीके से हुई जयप्रकाश के जिवीत होने की जानकारी
भारत सरकार ने जब आधार कार्ड को अनिवार्य बना दिया और हर जगह पर आधार कार्ड बनाये जाने लगे तो जेलों में भ्ीा कैदियों के भी आधार कार्ड बनाये गये। उसी क्रम में जब जयप्रकाश ने अपना आधार कार्ड बनवाया तो उसमें उसने अपने गाॅंव का पता लिखवाया जिसपर कुछ दिनों के बाद सन् 2015.16 में कमालपुर में जयप्रकाश का आधार कार्ड बन कर आया तो लोगो को आस जगी कि कही न कही तो वह अभी जिन्दा है। फिर भी आस तो आस ही रह गई। क्यो कि लाख पता करने के बाद भी नही पता चल पाया कि जयप्रकाश आखिरकार है कहा।
लगा सदमें को लगाम जब जेल से आया उसके जिवीत होने का पैगाम
दो माह पूर्व थाना धीना पर तत्कालीन एस एच ओ विपीन कुमार सिंह को जी आर पी जम्मू टेलिफोनिक कान्टैक्ट किया गया और जय प्रकाश की कुछ तस्बीरे भेजी गई और कहा गया कि क्या आप इस ब्यक्ति को पहचानते है। जिस पर एस एच ओ विपीन कुमार सिंह द्वारा कमालपुर ग्राम प्रधान होने के नाते सुदामा जायसवाल को बुलाया गया और जब तस्बीरे दिखाई गई तो वे कुछ तस्बीरे देखने के बाद वे तुरन्त पहचान गये कि यह तो जयप्रकाश है।जिस पर एस एच ओ ने जय प्रकाश के जम्मू के जेल अम्फाला में उसके बन्द होने की बात बताई।
सिस्टम का खेल न पेशी न मुकदमा न जिरह न बहस बस जेल ही जेल
जम्मू जी आर पी के अनुसार जयप्रकाश के पास से ए के 47 के 34 जिन्दा कारतूस बरामद किये गये थे। जिसके आधार पर उसे बन्द किया गया था। वही बता दे कि इस अपराध की सजा सी आर पी सी के अनुसार मात्र तीन व चार वर्ष की होती है लेकिन जय प्रकाश पिछले 22 वर्ष से जेल की सलाखों के पिछे पड़ा रहा। वह भी बिना किसी ट्रायल या मुकदमा के।
बेगम,पुत्र ,पुत्री भी हो गये अल्लाह को प्यारे
यह देखिए सिस्टम का खेल कि विरह में बेगम ने भी शरीर त्याग दिया और कंधे को सहारा देने वाला पुत्र व पुत्री भी अल्लाह को प्यारे हो गये। इस दर्दनाक हादसे में कही न कही भयंकर तरीके से सिस्टम का दोष ही कहा जायेगा।
पी एम मोदी की पहल लाई रंग और विछड़ों को मिल गया जयप्रकाश
यह तो पी एम नरेन्द्र मोदी का शुक्र कहिए कि उन्होने एक मुहिम चलाई कि पुराने कैदियों को जो काफी सजा काट चुके है उनके ब्यवहार सही होने पर बाहर निकाल दिया जाय। रिहा करने के क्रम में जय प्रकाश का भी नम्बर आ ही गया। इनका सबसे पहला नम्बर जेले से रिहा होने का था। इसी माध्यम से धीरे -धीरे खबर आई।
ग्राम प्रधान ने निभाया अपना फर्ज और वकीलुर्रहमान व रितेश पाण्डेय बने सारथी
खबर मिलने के बाद आज से लगभग दो माह पूर्व प्रधान सुदामा जायसवाल जयप्रकाश को लेने जम्मू चले गये। उस समय तकनीकि कागजी त्रुटियों के कारण जय प्रकाश को ले नही आ सके थे। फिर ग्राम प्रधान ने हार नही मानी और पुनः सारे कागजातों को दुरूस्त कर अपने प्रधान होने का फर्ज अदा करते हुए सुदामा जायसवाल को छुड़ाने के लिए 14 नवम्बर को निकल पड़े जम्मू की वादियो ंमें और आखिरकार 21 नवम्बर को सारी कवायते पूरी करते हुए जेल से 4 बजे सायं काल रिहा करा ही लिया। और वे आज सोमवार को ही 8.30 बजे की ट्रेन से अपने गाॅंव व जिले के लिए रवाना होंगे।
इस अभियान में पूरी तरह से ग्राम प्रधान सुदामा जायसवाल के अलावा उनके साथी वकीर्लुरहमान अंसारी,रितेश पाण्डेय ने अथक प्रयास किया और जम्मू तक साथ लगे रहे।