गणेश शंकर ने अपनी कलम से सुधार की क्रांति उत्पन्न की: रंजय
जयन्ती पर याद किए गए पत्रकारिता के पुरोधा गणेश शंकर विद्यार्थी
बाराबंकी : गणेश शंकर विद्यार्थी साहित्य और पत्रकारिता के शीर्ष स्तंभ थे। वह मूर्धन्य पत्रकार थे। वह क्रांतिकारी थे। वह एक जीता जागता पत्रकारिता और साहित्य का संस्थान थे। वह मूकजन की आवाज थे। यह बात गांधी भवन में स्वतंत्रता सेनानी एवं लब्ध प्रतिष्ठ पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी की जयन्ती पर हिन्दी पत्रकार एसोसिएशन की बाराबंकी ईकाई के जिलाध्यक्ष पाटेश्वरी प्रसाद ने कही। प्रसाद ने कहा कि विद्यार्थी जी हिंदी पत्रकारिता के पितामह कहे जाते रहेंगे। उनके द्वारा लिखित और प्रकाशित समाचार पत्र ‘प्रताप‘ ने स्वाधीनता आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। प्रताप के जरिये ही ना जाने कितने क्रांतिकारी स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित हुए
इतना ही नहीं यह समाचार पत्र समय-समय पर साहसी क्रांतिकारियों की ढाल भी बना। संगठन के महामंत्री रंजय शर्मा ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी गरीबों की हर छोटी से छोटी परेशानी को वह अपनी कलम की ताकत से समाज के सामने रखते थे। गणेश शंकर विद्यार्थी एक ऐसे साहित्यकार रहे हैं जिन्होंने देश में अपनी कलम से सुधार की क्रांति उत्पन्न की। वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष आसिफ हुसैन मिर्जा ने कहा कि आज साहित्य केवल धन अर्जित करने का एक माध्यम बन कर रह गया है
आज हमारे समाज को ऐसे साहित्यकारों की दरकार है जो अपने सभी दायित्वों का निर्वाह करना जानता हो और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझे। इस मौके पर प्रमुख रूप से मनीष सिंह, पंकज राणा, अमर बहादुर सिंह, मो. अदीब इकबाल, लवकुश शरण आनन्द, राजा सिंह, अनिल यादव, वरूण सिंह चैहान, कल्बे अली रज़ा, श्रवण चैहान, मो. आदिल सहित संगठन के कई पदाधिकारी एवं पत्रकार मौजूद रहे।