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गुजरात में मृत्यु प्रमाण पत्र से अलग सरकारी आंकड़े- गांधी

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लखनऊ : गुजरात के 4 शहरों में जारी हुए मृत्यु प्रमाण पत्रों और सरकार के हिसाब से कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों को शेयर कर दावा किया कि सरकार ने आंकड़ों में हेराफेरी की है. कांग्रेस महासचिव ने आगे लिखा, दिव्य भास्कर अखबार के हिसाब से दूसरी लहर के दौरान गुजरात में 71 दिनों में 1,24,000 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए गए. लेकिन गुजरात सरकार ने सिर्फ 4,218 कोविड मौतें बताईं. उन्होंने लिखा, अमहदाबाद में 13,593 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए, लेकिन सरकारी आंकड़ों में सिर्फ 2,126 मौतें बताई गईं. इसी तरह सूरत में 8,851 प्रमाण पत्र जारी हुए और सरकार के आंकडों में 1,074 मौतें हुईं. राजकोट में 10,887 प्रमाण पत्र जारी हुए लेकिन कोविड से 208 मौतें बताई गई. और वड़ोदरा में 7,722 प्रमाण पत्र जारी हुए, लेकिन सरकार के मुताबिक, वहां 189 मौतें हुईं

इसी तरह प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के आकंड़ों को शेयर करते हुए लिखा, खबरों के अनुसार UP के 27 जिलों में लगभग 1,100 किमी की दूरी में गंगा किनारे 2000 शव मिले. इनको सरकारी रजिस्टर में जगह नहीं मिली. जब प्रयागराज जैसे शहरों में गंगा के किनारे दफनाए गए शव टीवी में आने लगे तो उप्र सरकार ने तत्काल सफाई अभियान चलाकर कब्रों के निशान मिटाते हुए उनपर पड़ी चादरें उतरवा लीं

सही आंकड़ों को बताने पर हजारों जानें बचाई जा सकती थीं

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार आंकड़ों को बाजीगरी का माध्यम बनाना चाहती है या कोरोना को शिकस्त देने का एक अहम हथियार? उन्होंने कहा, आखिर क्यों वैज्ञानिकों द्वारा बार-बार मांगने के बावजूद कोरोना वायरस के बर्ताव और बारीक अध्ययन से जुड़े आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया? जबकि इन आंकड़ों को सार्वजनिक करने से वायरस की गति और फैलाव की जानकारी ठीक तरह से होती और हजारों जानें बच सकती थीं.

कांग्रेस महासचिव ने लिखा कि केंद्र सरकार आंकड़ों को अपनी छवि बचाने के माध्यम की तरह क्यों प्रस्तुत करती है? उन्होंने कहा कि क्या इनके नेताओं की छवि, लाखों देशवासियों की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण है? सही आंकड़ें अधिकतम भारतीयों को इस वायरस के प्रभाव से बचा सकते हैं. आखिर क्यों सरकार ने आंकड़ों को प्रोपेगैंडा का माध्यम बनाया न कि प्रोटेक्शन का

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