31 जुलाई तक रिपोर्ट देने को कहा-
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिकरू कांड की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी गठित कर दी है। एसआईटी में अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी, एडीजी हरिराम शर्मा और डीआईजी जे. रविंद्र गोड़ शामिल हैं। 31 जुलाई तक एसआईटी अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी। अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी को एसआईटी को लीड करेंगे। सरकार ने दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के खिलाफ अब हुई कार्रवाई, पुलिस व स्थानीय प्रशासन द्वारा उसके खिलाफ उठाए गए कदम और उसे सजा दिलाने में स्थानीय प्रशासन की भूमिका की भी जांच के लिए एसआईटी बनाई है।
इन सवालों के जवाब खोजेगी एसआईटी
एसआईटी यह भी पड़ताल करेगी कि विकास दुबे पर दर्ज मामलों में क्या प्रभावी कार्रवाई की गई? विकास दुबे के साथियों को सजा दिलाने के लिए की गई कार्रवाई क्या पर्याप्त थी? विकास दुबे की जमानत रद्द कराने के लिए क्या कार्रवाई हुई? मार्च 2020 में दर्ज मुकदमे में जमानत निरस्तीकरण की कार्रवाई क्यों नहीं हुई? विकास दुबे के खिलाफ शिकायतों में एसओ चैबेपुर व सीनियर अफसरों ने क्या जांच की क्या कार्रवाई की? विकास दुबे और उसके साथियों पर गैंगस्टर एक्ट गुंडा एक्ट एनएसए में क्या कार्रवाई हुई? कार्रवाई में लापरवाही किस अफसर ने की?
विकास का साथ देने वाले पुलिसकर्मी भी आएंगे जद में
एसटीआई उन पुलिसकर्मियों की भी कुडली खंगालेगी जो गैंगेस्टर का साथ दे रहे थे। विकास दुबे की कॉल डिटेल खंगाली जाएगी। बीते 1 साल के दौरान गैंगेस्टर से संपर्क रखने वाले पुलिसकर्मियों के विरुद्ध साक्ष्य मिले तो कार्रवाई की अनुशंसा भी होगी? एसआईटी यह भी पता लगाएगी कि घटना के वक्त विकास दुबे और उसकी गैंग के पास मौजूद फायरपावर कैसे आई? थाने को जानकारी थी या नहीं
विकास दुबे के खिलाफ दर्जनों मुकदमों दर्ज होने के बावजूद किस अफसर ने उसे हथियार के लाइसेंस दिलवाए और कैसे? लाइसेंस निरस्त क्यों नहीं हुए? विकास दुबे और उसके साथियों की अवैध संपत्ति धंधा व अन्य कारोबार में पुलिस में कैसे बरती ढिलाई? किस अफसर ने उसे संरक्षण दिया? कौन-कौन सी सरकारी व गैर सरकारी जमीनों पर किया कब्जा? किस अधिकारी की क्या भूमिका? जांच में विकास दोषी पाए गए अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसआईटी संस्तुति करेगी।
गंभीरता से जांच हुई तो बड़े ‘साहबों’ का फंसना तय
सूत्रों के मुताबिक यदि एसआईटी ने गंभीरता से जांच की तो बिकरू कांड में बड़े अफसरों पर के खिलाफ कार्रवाई तय है। एसआईटी की जांच में पिछले एक साल में कानपुर में तैनात रहे डीएम, एसएसपी, आईजी, एडीजी और कमिश्नर तक जांच के दायरे में हैं। तहसील स्तर के अधिकारी भी जांच के दायरे में आएंगे। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर बिकरु कांड के लिए जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ सरकार कार्रवाई कर सकती है।