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हार्ट अटैक कैंसर के बाद सेप्सिस से हो रही सबसे ज्यादा मौत।

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लखनऊ : रविवार को विश्व सेप्सिस दिवस की पूर्व संध्या पर केजीएमयू पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉक्टर वेद प्रकाश ने वर्ल्ड सेप्सिस डे पर केजीएमयू में प्रेस कांफ्रेंस कर बताया की दुनियाभर में सेप्सिस की वजह से तीसरे नंबर पर मौत हो रही हैं हार्ट अटैक, कैंसर के बाद सेप्सिस से हो रही सबसे ज्यादा मौत 13 सितंबर को दस साल से वर्ल्ड सेप्सिस डे मनाया जा रहा है सेप्सिस पूरी दुनिया के लिए खतरा बन रहा है शोध के अनुसार 2050 तक सेप्सिस के cases और मौत सबसे ज्यादा होंगे डॉक्टर के हिसाब से दी गई दवा को मरीज खाए, न ज्यादा डोज़ ले न कम डोज़ लें एंटीबॉयोटिक दवाओं के इस्तेमाल के लिए गाइड लाइन बहुत जरूरी है। खुद व कई बार डॉक्टरों के परामर्श पर अनावश्यक रूप से एंटीबॉयोटिक दवाओं का सेवन घातक हो सकता है। यह शारीरिक रूप से कमजोर बनाती हैं।

इस पर रोक न लगी तो आने वाले समय में मरीजों की मौत की सबसे बड़ी वजह सेप्सिस होगी। अधिक एंटीबॉयोटिक दवाओं के सेवन यह बीमारी होती है। आईसीयू के 60 से 70 प्रतिशत मरीजों को सेप्सिस की समस्या होती है। इनमें 35 प्रतिशत को रेस्पिरेटरी सेप्सिस तथा 25 फीसदी में यूरोसेप्सिस होता है। शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द होने पर लोग एंटीबॉयोटिक व दर्द निवारक दवाएं ले लेते हैं। कई बार तो समस्या बढ़ने पर डाक्टर ही उन्हें यह दवाएं लिख देते हैं। यह मरीज के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित डाक्टर के परामर्श पर ही दवाएं लें और डॉक्टर जितने दिन की दवा लिखे उतने दिन ही खाएं। खुद से दवा लेकर न खाएं। बीमारी के दौरान दवा का एक निर्धारित कोर्स होता है कम दिन दवाएं लेने पर बीमारी के वायरस या बैक्टीरिया शरीर में रजिस्टेंस विकसित कर लेते हैं। दोबारा वही रोग होने पर दवाएं काम नहीं आतीं।

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