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उत्तर प्रदेश नई सरकार के मंत्रियों के लिए सबक नहीं किया काम तो होगा ऐसा अंजाम

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 18 वीं विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनाव में मतदाताओं की ओर से जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार पर भरोसा जताते हुए उन्हें दोबारा से विजई बनाकर सरकार बनाने का न्योता दिया है। वही मौजूदा सरकार के कद्दावर मंत्रियों में शामिल कई मंत्री चुनाव हार गए हैं। चुनाव मैदान में उतरे 45 मंत्रियों में से केवल 36 मंत्री ही जीत हासिल कर सके हैं जबकि 10 मंत्रियों की हार अब नए मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रियों के लिए इस बात का सबक है कि उन्हें जनता के लिए काम करना ही होगा।

दरअसल उत्तर प्रदेश में 18 वीं विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनाव में प्रदेश सरकार के 45 मंत्री जनता के बीच उनका विश्वास हासिल करने के लिए इलेक्शन में उतरे थे। चुनाव की मतगणना में 36 मंत्रियों के ऊपर मतदाताओं ने अपना विश्वास जताते हुए उन्हें विधानसभा के भीतर भेज दिया है। जबकि 10 मंत्री अपने अपने चुनाव क्षेत्र में इलेक्शन हार गए हैं। चुनाव में हारने वाले 17 कैबिनेट मंत्रियों में से तीन मंत्री क्रमशः डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, गन्ना मंत्री सुरेश राणा और राजेंद्र सिंह उर्फ मोती सिंह चुनाव हार गए हैं। स्वतंत्र प्रभार वाले 6 राज्यमंत्रियों में दो मंत्री बलिया के फेफना विधानसभा सीट से उपेंद्र तिवारी और इटावा से बेसिक शिक्षा मंत्री रहे सतीश चंद्र द्विवेदी चुनाव हार गए हैं

24 राज्य मंत्रियों में से पांच मंत्री इस बार चुनाव हारे हैं। हारने वाले राज्य मंत्रियों में हुसैनगंज से रणवेंद्र प्रताप सिंह, गाजीपुर से संगीता बलवंत, बेरिया से आनंद स्वरूप शुक्ला, चित्रकूट से चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय एवं बरेली की बहेड़ी विधानसभा सीट से छत्रपाल गंगवार प्रमुख है। मौजूदा सरकार के मंत्रियों की हार नई सरकार में मंत्री बनने वाले विधायकों के लिए एक सबक है। जनता ने दिखाया है कि यदि कोई काम नहीं करता है तो उनके पास चुनाव एक विकल्प है, जब वह अपना बदला ले सकते हैं।

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