हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) शहादत की याद में रविवार को इमामबाड़ा विक्टोरिया स्टीट से कर्बला के शहीदों के चेहलुम का जुलूस निकाला गया
लखनऊ: हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों की दर्दनाक शहादत की याद में रविवार को इमामबाड़ा नाजिम साहब विक्टोरिया स्टीट से कर्बला के शहीदों के चेहलुम का जुलूस निकाला गया जो कर्बला तालकटोरा जाकर संपन्न हुआ। जुलूस में हजारों अजादार शरीक हुए जिसमें पुरूषों के साथ पर्दानशीन महिलाएं व बच्चे शामिल थे। इससे पूर्व मजलिस को मौलाना कल्बे अहमद ने खिताब किया। उन्होंने कहा कि यजीद की कैद से छूटने के बाद जब शहजादी हजरत जैनब (स.अ.) व जैनुल आबदीन (अ.स.) कर्बला वापस गये तो शहीदों का चेहलुम मनाया। मौलाना ने जब इन लोगों की रिहाई के बाद के कर्बला पहुंचने का जिक्र किया तो अजादार जार-ओ कतार रोने लगे। मजलिस के बाद इमामबाड़े से अंजुमनों के निकलने का सिलसिला शुरू हुआ।
जुलूस में शहर की करीब दो सौ मातमी अंजुमनें अपने अलम के साथ नौहाख्वानी व सीनाजनी करती चल रही थीं। अंजुमनों के साहिबे बयाज चेहलुम पर कदीमी नौहे पढ़ रहे थे, जिन्हें सुन अकीदतमंदों की आंखें भर आयी। जुलूस नाजिम साहब के इमामबाड़े से निकलकर नक्खास चौराहा, टूरियागंज, हैदरगंज, बुलाकी अड्डा, एवरेडी चौराहा होते हुए तालकटोरा कर्बला में संपन्न हुआ। इस दौरान अजादारों ने जंजीर और कमा का मातम भी किया। जुलूस में सबसे पीछे अंजुमन रौनके दीने इस्लाम, हजरत औन व मोहम्मद, हजरत अली अकबर, हजरत अली असगर और हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) के ताबूत व गहवारा, ऊंटों पर अमारियां, जुलजनाह और हजरत अब्बास (अ.स.) की निशानी अलम के साथ नौहाख्वानी व सीनाजनी करती हुई शामिल हुई। अकीदतमंदों ने जियारत कर दुआएं मांगी। शाम तक अंजुमनों का कर्बला तालकटोरा पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। कर्बला में अलविदाई मजलिस के बाद जुलूस सम्पन्न हुआ।
इराक की तर्ज पर लखनऊ में भी अरबाईन वॉक -शामिल हुए हजारों अजादार
लखनऊ चेहलुम के मौके पर हर साल दुनिया भर से लाखों अजादार कर्बला इराक जाते हैं और वहा नजफ शहर स्थित रौजाए हजरत अली (अ.स.) से कर्बला में रौजाए इमाम हुसैन (अ.स.) तक 80 किलो मीटर पैदल सफर करते हैं। जिसे अरबाईन वॉक कहते है। इसी तर्ज पर रविवार को अजादारों ने इमामबाड़ा शाहनजफ हजरतगंज, रौजाए हजरत अली सरफराजगंज और कर्बला अब्बासिया बक्शी का तलाब से कर्बला तालकटोरा के लिए पैदल सफर तय किया। जिसमें पुरूष, ख्वातीन व बच्चों के साथ हजारों अजादार शामिल हुए। बक्शी का तालाब से आये अजादरों के शिया पीजी कालेज सीतापुर रोड पर गुलामाने हजरत मुख्तार फेडरेशन हसन पुरिया के सदस्यों ने पैर दबा कर उनकी खिदमत की। पैदल आये जायरीन के लिए शहीद स्मारक, बड़ा इमामबाड़ा व सबीले सक्काए सकीना रीवर बैंक कालोनी सहित अनेक इदारों व अजादारों ने जगह पर खाने पीने के विषेश इंतजाम किये थे। लब्बैक या हुसैन की रही गूंज
जुलूस के दौरान इमामबाड़ा नाजिम साहब से कर्बला तालकटोरा तक अजादारों के लबों पर लब्बैक या हुसैन लब्बैक या हुसैन यानी हुसैन हम हाजिर हैं की सदाएं थीं। जुलूस में ईराक की तर्ज पर अजादार हाथों में या हुसैन व या अब्बास लिखे लाल, हरे, सफेद और काले झंडे लहरा रहे थे।बहत्तर शहीदों की हुई नज्र,देर रात तक चली मजलिसेंचेहलुम के मौके पर अजादारों ने अपने घरों में कर्बला के शहीदों की नज्र दिलाकर अकीदत पेश की। इस मौके पर लोगों ने मुख्य रूप से खड़ी मसूर की दाल, दूध, शर्बत व पानी को नज्र में रखा जिस पर नज्र की और बड़ी अकीदत के साथ चखा। नज़्र चखते ही
आंखों से आंसू जारी हो गये। इदारे सकीना ने अजाखाना-ए-अबुल फजलिल अब्बास हसन पुरिया में मजलिस को मौलाना मोहम्मद मशरीकैन ने खिताब किया। इसके बाद बहत्तर शहीदों की नज्र दी गयी। जिसमें बहत्तर थालियों में नज्र का सामान व बहत्तर कूजों में पानी था जिसे देखकर कर्बला के शहीदों की तीन दिन की भूख प्यास की याद ताजा हो गयी। इदारे अजरे रिसालत मिशन की ओर से रौजाए बैतुल हुज्न रूस्तम नगर में मजलिसे अरबाईन-ए-शोहदा-ए-कर्बला को मौलाना जैगमुल गरवी ने खिताब किया। मजलिस का आगाज कारी नदीम नजफी ने तिलावते कुरान पाक से किया।
मस्जिद राहते सुल्तान छोटे साहब आलम रोड में मजलिस को मौलाना मुम्ताज जाफर ने खिताब किया। मजलिस के बाद 18 बनी हाशिम के ताबूतों की जियारत करायी गयी। अंजुमन महमूदाबाद ने कर्बला तालकटोरा में बनी असद का काफिला निकाला। जिसमें इमाम हुसैन(अ.स.), हजरत अब्बास (अ.स.) का ताबूत, जुलजनाह, अलम, हजरत अली असगर का झूला और कफनी पहने सोगवार काफिले में शामिल रहे। शहीदों के नाम पर सबीलों के विशेष इंतजाम चेहलुम के मौके पर विक्टोरिया स्ट्रीट से लेकर कर्बला ताल कटोरा व कर्बला इमदाद हुसैन खा के पास तक बिभिन्न इदारों की तरफ से चाय, काफी, दूध, बिरयानी, दाल-चावल, खिचड़ा, बिस्कुट, शीरमाल, चाकलेट, विभिन्न तरह के शर्बत व चिप्स आदि का वितरण किया गया। इसके अतिरिक्त कई सचल सबीले भी जुलूस के साथ चल रही थी।