लखनऊ : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है। उतनी ही रफ्तार से कोरोना से संक्रमित मरीज के ठीक होने का ग्राफ भी चढ़ रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में कोरोना रिकवरी रेट 29.36 पर्सेंट हो चुका है। यानी हॉस्पिटल में भर्ती हुआ हर तीन में से 1 मरीज अब ठीक हो चुका है, यही नहीं देशभर के अस्पतालों में के मरीजों के लिए 1 लाख 30 हजार से ज्यादा बेड का इंतजाम किया गया था, लेकिन अभी तक सिर्फ 1.5 प्रतिशत बेड का ही इस्तेमाल किया गया है।
कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या में भले ही इजाफा देखा जा रहा हो लेकिन उनमें कोरोना के लक्षण काफी मामूली हैं। कोरोना के हल्के लक्षण के कारण मरीजों के ठीक होने का अनुपात अन्य देशों से काफी बेहतर हुआ है। बताया जा रहा है, कि जिस तरह से भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की देखभाल की जा रही है उसको देखते हुए बहुत जल्द देश में कोरोना का ग्राफ गिरता दिखाई देगा। यही कारण है कि अब इन बेड का इस्तेमाल नॉन कोविड मरीजों के लिए करने पर विचार किया जा रहा है।
बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए ज्यादा मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी और ओपीडी को बंद कर दिया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि हमने कोरोना को लेकर पहले से काफी तैयारी की थी। जिसका असर अब दिखने लगा है। देशभर में 1 लाख 30 हजार बेड तैयार किए गए थे।जिसमें से बमुश्किल दो हजार कोविड-19 बेड का ही इस्तेमाल किया गया है।
देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पिछले 24 मार्च से देश में लॉकडाउन चल रहा है। लॉकडाउन के तीसरे चरण में कुछ शर्तों के साथ प्रवासियों को राज्यों में जाने की अनुमति दी गई है। प्रवासियों के दूसरे राज्यों में आने के कारण सरकार अभी इसमें कोई बदलाव नहीं करना चाहती है। सरकार देखना चाहती है कि प्रवासियों के गृह राज्य में लौटने पर किस तरह का असर देखने को मिल रहा है। बता दें कि कोविड के लिए डेडिकेटेड अस्पतालों में 99,000 बेड ऑक्सिजन सपोर्ट और 35 हजार बेड आईसीयू की सुविधा वाले हैं