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भारतीय नववर्ष वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक ऊर्जा का अजस्र स्रोत : डा. बादल

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ललितपुर : अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्त्वावधान में संस्कृत भवन सभागार, नवसंवत्सर के आगमन की पूर्व संध्या पर, भारतीय नववर्ष, वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक ऊर्जा का अजस्र स्रोत विषय पर, विद्वत संगोष्ठी, अखिल भारतीय साहित्य परिषद दिल्ली के राष्ट्रीय संयुक्त महामन्त्री डा.पवन पुत्र बादल के मुख्यातिथ्य में एवं डा.ओमप्रकाश शास्त्री की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।संगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के पूजन एवं प्रज्वलित कर किया गया।

डा.पवनपुत्र बादल ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व में भारत देश कीसमृद्धतम साहित्य एवं ज्ञान की परम्परा है। वैदिक साहित्य, पौराणिक साहित्य, आदिकाव्य बाल्मीकिरामायण, महाभारत आदि के विपुल भंडार के कारण सम्पूर्ण विश्व में यहां के साहित्य ने जीवन मूल्यों को प्रतिष्ठित किया है उन्होंने कहा कि कल चौत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होने वाला,हमारा नववर्ष, नवसंवत्सर वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है। सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना इसी दिन से प्रारंभ की थी, प्राकृतिक परिवर्तन एवं शक्ति साधना से प्रारम्भ होकर सम्पूर्ण सृष्टि में अजस्र शक्ति स्रोत प्रवाहित होता है

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् उत्तर प्रदेश के प्रादेशिक महामंत्री डॉ महेश पाण्डेय ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व आज भी भारतीय नववर्ष की वैज्ञानिकता को स्वीकार कर दुनिया के देश अपना वित्तीय वर्ष इसी दिन से प्रारंभ करते हैं।
उन्होंने विद्वानों आचार्यों शिक्षकों एवं जनपद वासियों से अनुरोध किया कि नववर्ष को पर्व महोत्सव की तरह मनाते हुये अपने घर पर भगवा ध्वज,एवं वन्दन वारा लगाकर शंख नाद कर नववर्ष का अभिनन्दन करे।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् जनपद ललितपुर के अध्यक्ष डॉ ओमप्रकाश शास्त्री ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारत देश की संस्कृति, ज्ञान परम्परा समृद्धतम साहित्य दुनिया में सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक हैं। उन्होंने वाराह मिहिर,आर्यभट्ट, रामानुजन जैसे महान् गणितज्ञों की काल गणना का उल्लेख करते हुए कहा कि, काल गणना में अ_ाइसवी चतुयुगी में 28वा कलियुग चल रहा है जिसके अनुसार,1 अरब 95करोड 58 लाख 85 हजार 123वां कल से नववर्ष से प्रारम्भ होगा।

वर्तमान कलियुग का 5123वा वर्ष शुरू होगा वही महाराजा विक्रमादित्य के शासनारूढ़ काल से 2079वा सम्वत् प्रारंभ होगा, डा. शास्त्री ने नववर्ष की वैज्ञानिकता एवं आध्यात्मिकता पर धर्मशास्त्रीय व्याख्या प्रस्तुत की। विद्वद् संगोष्ठी में नेमवि के प्राचार्य डॉ अवधेश अग्रवाल,ने कहा कि भारतीय युवा वर्ग को भारतीय नववर्ष नव संवत्सर से परिचित कराने हेतु हमें वैज्ञानिकता से परिचित कराना होगा। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग को उत्साह के साथ भारतीय नव वर्ष पर अपनी पीढ़ी में शुभकामनायें प्रदान करते हुए भारतीयता के चिन्हों पर अपने आवास पर स्थापित करना चाहिए।

नवसंवत्सर को इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ पंकज शर्मा,ने भारतीय नववर्ष की ऐतिहासिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब दुनिया अज्ञान थी तब भारत के मनीषी नव संवत्सर की आध्यात्मिकता वैज्ञानिकता पर चिंतन ,कर रहे थे। इस अवसर पर डॉ संजीव शर्मा,डॉ सुधाकर उपाध्याय, आशीष चौबे शासकीय अधिवक्ता राजेश दुबे, डॉ रामकुमार रिछारिया, डॉ. दीपक पाठक, डॉ. प्रीति सिरौठिया, राजाराम गोस्वामी, डॉ. सुभाष जैन, डॉ. हरीषचंद्र दीक्षित, डॉ. बलराम द्विवेदी, डॉ. अरिमर्दन सिंह, धीरेन्द्र तिवारी, फहीम बख्श, विवेक पाराषर, धु्रव किलेदार, अनुराग गोस्वामी, गजेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ सुधाकर उपाध्याय ने किया।

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