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मासूमों ने पहली बार देखी चारदीवारी के बाहर की रंग-बिरंगी दुनिया

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बस्ती: जेल में मां के साथ रह रहे मासूम जेल प्रशासन की मदद से बाहर घूमने निकले जिला कारागार के आठ मासूमों को रंग-बिरंगी दुनिया की सैर कराई गई। अपनी सजायाफ्ता मां के साथ जेल की चारदीवारी में कैदी का जीवन यापन करने को मजबूर ये मासूम जब जिला उद्यान के चिल्ड्रन पार्क में पहुंचे तो इनके बुझे हुए चेहरों पर अचानक रंगों की मुस्कान छा गई।

जेल अधीक्षक डीके पाण्डेय के सहयोग से जिला कारागार में महिला बंदियों के साथ रह रहे छह वर्ष से कम उम्र के आठ बेगुनाह मासूम बच्चों ने जेल की ऊंची ऊंची चाहरदीवारी के बाहर की दुनिया पहली बार देखी।इन बच्चों ने पार्क में खुब उछल-कूद की जेल अधीक्षक श्री पाण्डेय ने बताया कि कारागार की महिला व पुरूष वार्डर की बक़ायदा बच्चों के साथ ड्यूटी लगाई गई थी

ज़िलाधिकारी आवास के सामने स्थित ज़िला उद्यान के चिल्ड्रन पार्क की सैर कराई गई। बच्चों को किसी तरह का खतरा या हानि न हो, इसका विशेष ध्यान रखा गया। सुप्रिंटेंडेंट भी स्वयं बच्चों के साथ रहे और बच्चों ने वहाँ पहुँच कर घंटो खूब मस्ती की। बच्चों को खुशी से उछलते कूदने खेलते देखकर वहाँ मौजूद लोगों की आंखे भर आई।

कारागार में कोर्ट की इजाजत से रखे जाते हैं बच्चे-छह साल या इससे कम उम्र के बच्चे की मां अगर किसी मामले में जेल जाती है और अगर उसके बच्चे को बाहर रखने वाला कोई नहीं होता तो कोर्ट के आदेश के बाद बच्चे को जेल में रखने की इजाजत मिलती है। मैनुअल में पांच साल तक के बच्चे को ही जेल में रखे जाने का प्रावधान है सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद अब छह साल तक के बच्चे को जेल के भीतर मां के साथ रखा जाता है।

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