कानपुर में 45 दिन में एक भी केस नहीं
कानपुर : उत्तर प्रदेश के कानपुर में पांच गांव ऐसे हैं जहां दिल्ली-मुंबई आदि शहरों से प्रवासी लौटकर आए पर कोरोना इन गांवों के एक भी ग्रामीण को छू नहीं पाया। प्रधानों और ग्रामीणों की जागरुकता की वजह से ये गांव महामारी के प्रकोप से बच गए। बीते डेढ़ माह में यहां पर कोई भी संक्रमित नहीं मिला है। देश के तमाम राज्यों में लॉकडाउन होने पर वहां काम करने वाले प्रवासी अपने गांव लौट आए थे। कई गांवों में प्रवासियों की जांच आदि न होने से संक्रमण का फैलाव काफी बढ़ गया था। कई मौतें हुई थीं। वहीं, दो ग्राम पंचायतों बूढ़नपुर, उत्तमपुर के पांच गांवों में डेढ़ सौ प्रवासी लौटकर आए थे पर कोरोना न फैल सका।
गांव में घुसने से पहले उनको क्वॉरंटीन कर दिया गया। बुखार-खांसी आने पर तत्काल दवाइयां मुहैया कराई गईं। प्रधान रोज गांव भर में सैनिटाइजेशन कराते रहे। आसपास के गांवों में संक्रमण बढ़ने पर बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया। ऐसे में संक्रमण फैल नहीं सका। चौबेपुर ब्लॉक के बूढ़नपुर और आलमपुर गांव में करीब दो हजार लोग रहते हैं। करीब 100 लोग नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली आदि शहरों में रहकर मजदूरी करते हैं। अप्रैल की शुरुआत में 50 प्रवासी गांव लौटे थे। बूढ़नपुर के प्रधान अतुल यादव ने बताया कि जीत के बाद ही गांव में बाहरी लोगों का प्रवेश बंद करा दिया था। लगातार सैनिटाइजेशन कराया गया था। निगरानी समिति से सभी लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग कराई थी। कुछ लोगों में वायरल निकला तो अपने पैसों से दवा उपलब्ध कराई थी। बीते डेढ़ माह में एक भी मौत संक्रमण से गांव में नहीं हुई है। चौबेपुर ब्लॉक के बूढ़नपुर और आलमपुर गांव में करीब दो हजार लोग रहते हैं। करीब 100 लोग नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली आदि शहरों में रहकर मजदूरी करते हैं। अप्रैल की शुरुआत में 50 प्रवासी गांव लौटे थे। बूढ़नपुर के प्रधान अतुल यादव ने बताया कि जीत के बाद ही गांव में बाहरी लोगों का प्रवेश बंद करा दिया था। लगातार सैनिटाइजेशन कराया गया था। निगरानी समिति से सभी लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग कराई थी। कुछ लोगों में वायरल निकला तो अपने पैसों से दवा उपलब्ध कराई थी। बीते डेढ़ माह में एक भी मौत संक्रमण से गांव में नहीं हुई है।
ककवन ब्लॉक के गांव उत्तमपुर, अनूपपुर, किशनपुर में करीब 2200 लोग रहते हैं। 100 प्रवासी गैर राज्यों से इन गांवों में लौटे थे। पहली लहर में इन गांवों में कई लोग संक्रमित हो गए थे। उत्तमपुर के प्रधान अजीत कुमार ने बताया कि दूसरी लहर से पहले ही सब सतर्क हो गए थे। अप्रैल में आए प्रवासियों को गांव के बाहर स्थित स्कूल में ठहरा दिया गया था। निगरानी समिति रोज थर्मल स्क्रीनिंग करती थी। लक्षण न उभरने पर सभी को घर भेज दिया गया। ग्रामीणों से आयुष दवाएं खाने को कहा गया। लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का खुद ही पालन किया। रैंडम कोविड जांच में भी कोई संक्रमित नहीं मिला था। गुजरात से अप्रैल माह में आया था। महामारी को देखते हुए मैंने खुद को घर के अलग कमरे में कर लिया था। इसके बाद काढ़ा और गरम पानी पीता रहा और घर के बाहर कहीं नहीं गया। मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई।
ब्लैक फंगस का संक्रमण मुंह से जल्दी फैलता
कानपुर : ब्लैक फंगस का संक्रमण मुंह से जल्दी फैलता है। जो रोगी मिल रहे हैं उनकी जांच से पता चला है कि संक्रमण मुंह से साइनस, आंखों और मस्तिष्क तक पहुंच रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि पान मसाला खाने वाले कोरोना विजेता खासतौर पर सतर्क रहें। इसकी वजह से मुंह की खाल कमजोर हो जाती है जिससे फंगस को घुसने में आसानी होती है। इसके अलावा ऐसे कोविड रोगी जो पहले से पायरिया, मसूड़ों के संक्रमण, सब म्युकस फाइब्रोसिस, मुंह के छाले, ल्यूकोप्लेसिया (सफेद चकत्ता) चपेट में रहे हैं, वे भी मुंह की जांच करा लें। विशेषज्ञों का कहना है कि मुंह में ब्लैक फंगस शुरुआत में जल्दी पकड़ में नहीं आता है। जब मसूड़ों में सूजन होती है तालू काला पड़ने लगता है तो रोगी को पता चलता है। अगर लापरवाही कर दी तो संक्रमण साइनस की तरफ बढ़ जाता है। यहां की नलिकाओं से यह मस्तिष्क तक चला जाता है। जेके कैंसर इंस्टीट्यूट के पूर्व दंत रोगविभागाध्यक्ष डॉ. अंकित मेहरोत्रा और डॉ. अभिषेक दुबे ने बताया कि ब्लैक फंगस नाक की तुलना में मुंह से अधिक आसानी से घुस सकता है। अगर शुरुआत में ही जांच हो जाए तो रोगी को जटिलताएं भी नहीं होंगी और ठीक हो जाएगा। संक्रमण बढ़ने पर मुश्किलें बढ़ती हैं।
ये लोग हो सकते ब्लैक फंगस प्रभावित
जो लोग कोरोना से ग्रसित रहे हों
जो रोगी करीब महीने भर अस्पताल में भर्ती रहे हों
जिनका ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित हो
जिन्हें लंबे समय तक आक्सीजन दी गई हो
दो चम्मच क्लोरहेक्सीडीन एक गिलास पानी में मिलाकर कुल्ला करें
आधा चम्मच खाने का सोडा एक गिलास पानी में मिलाकर कुल्ला कर सकते हैं
मसूड़ों में एंटी बैक्टीरियल मलहम लगाएं
कोरोना रोगी एक बार दंत रोग विशेषज्ञ से जांच करा लें।
हैलट में ब्लैक फंगस के छह रोगी
कानपुर : हैलट में ब्लैक फंगस के छह रोगी हो गए हैं। गुुरुवार को ब्लैक फंगस का एक और रोगी भर्ती हुआ। इनमें से तीन नॉन कोविड हैं और तीन रोगी कोरोना संक्रमित हैं। कोरोना संक्रमित रोगियों को न्यूरो साइंसेज और मैटरनिटी विंग में रखा गया है। नॉन कोविड रोगियों को वार्ड नंबर नौ में भर्ती किया गया है। हालांकि इन रोगियों को लिए अभी पर्याप्त दवाएं नहीं हैं, लेकिन 160 वायल्स उपलब्ध हो गए हैं, जिनसे काम चलाया जा रहा है। ब्लैक फंगस के दो रोगियों का इलाज शुरू कर सैंपल बायोप्सी जांच के लिए भेजा गया है। इनकी रिपोर्ट सोमवार आएगी। 30 साल के नॉन कोविड ब्लैक फंगस रोगी का साइनस साफ कर दिया गया है। अब जांच में देखा जा रहा है कि फंगस का संक्रमण मस्तिष्क में कहां तक पहुंचा है। इसके बाद सर्जरी होगी। इसके अलावा निजी डॉक्टरों के यहां भी ब्लैक फंगस के रोगी आ रहे हैं। इनमें अधिकांश रोगियों की कोरोना की हिस्ट्री है। सीएमओ डॉ. नेपाल सिंह का कहना है कि हैलट को दवा उपलब्ध करा दी गई है। जरूरत के मुताबिक और व्यवस्था की जाएगी।
कोविड रोगियों के परिजनों को गलत सूचना देने के मामले में हैलट के कंट्रोल रूम को नोटिस दिया गया है। पिछले दिनों काकादेव की रोगी की मौत के बाद परिजनों को उसका मेडिकल बुलेटिन जारी करने के मामले में प्रशासन और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की कमेटी जांच कर रही है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सारे मामलों को जांच के दायरे में लिया जा रहा है। कंट्रोल रूम से पता किया जा रहा है कि मैसेज भेजने में कोई तकनीकी गलती है या फिर लापरवाही। अधिकारियों का कहना है कि यह भी हो सकता है कि मैसेज नेटवर्क की वजह से अटका हो, बाद में पास हुआ हो।